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सिक्किम स्थापना के 50 साल: संघर्ष से विलय तक की कहानी

सिक्किम स्थापना के 50 साल: संघर्ष से विलय तक की कहानी

सिक्किम की ऐतिहासिक कहानी, राजशाही से लोकतंत्र तक

 

PM नरेंद्र मोदी आज सिक्किम की राज्य स्थापना की 50वीं वर्षगांठ पर राजधानी गंगटोक का दौरा मौसम खराब के कारण रद्द कर दिया। राज्य की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर पीएम ने गंगटोक में लोगों को वर्चुअल के जरिए संबोधित किया।

 

काफी संघर्ष के बाद सिक्किम (Sikkim) का भारत में विलय (merge) हुआ था। 1947 में आजादी मिलने के 28 साल बाद तक सिक्किम भारत का पूर्ण राज्य नहीं बना था। वर्ष 1975 तक वहां नामग्याल (Namgyal) राजवंश का शासन था और भारत सिर्फ विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े मामले देखता था।

 

कैसे भारत का हिस्सा बना सिक्किम?


सिक्किम में भारत में विलय होने की कहानी बड़ी अनोखी है, जिसमें कूटनीति और राजनीति शामिल है। इसको लेकर चीन ने काफी आपत्ति जताई थी, यहां तक कि आज भी चीन और भारत के बीच इसकी सीमा को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। करीब 1970 के दशक में सिक्किम के राजा पाल्डेन थोंडुप नामग्याल की अमेरिकी पत्नी ने भारत से दार्जिलिंग लेने की ख्वाहिश जताई। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस खतरे समझ गईं। 16 मई 1975 को सिक्किम भारत का 22वां राज्य (22nd state of India) बन गया। 1975 में भारत का हिस्सा बनने से पहले सिक्किम करीब 300 सालों तक आजाद रियासत रहा। वर्ष 1642 में सिक्किम में बौद्ध राजतंत्र की स्थापना हुई थी। इसके पहले चोग्याल बने फुंटसोग नामग्याल। सिक्किम में चोग्याल का मतलब ‘धर्म से शासन करने वाला राजा’ होता है।

 

सिक्किम, गोरखा और अंग्रेज


भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान अंग्रेजों को तिब्बत के साथ व्यापार करने के लिए सिक्किम से जाने वाले रास्ते की जरूरत हुई। इधर सिक्किम के दाईं तरफ नेपाल की गोरखा आर्मी अपनी सेना बढ़ा रही थी। गोरखा सैनिकों का सिक्किम पर हमला जारी था। 1814 से लेकर 1816 के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल की गोरखा आर्मी के बीच एंग्लो-गोरखा (Anglo-Gorkha) युद्ध हुआ, जिसमें सिक्किम ने अंग्रेजों का साथ दिया। अंग्रेजों की इस लड़ाई में जीत हुई, जिसके बाद नेपाल ने सुगौली समझौते के तहत सिक्किम में कब्जाई सारी जमीन अंग्रेजों को वापस लौटा दी। 1817 में युद्ध समाप्त होने के बाद सिक्किम के राजा और अंग्रेजों के बीच तितालिया की संधि हुई, जिसके बाद सिक्किम को अपनी जमीन वापस मिली, साथ ही अंग्रेजों से सिक्किम की सुरक्षा का वादा भी मिला। लेकिन अंग्रेजों ने इसके बदले में सिक्किम के रास्ते तिब्बत से व्यापार करने का अधिकार ले लिया।

 

1950 की संधि और सिक्किम की स्वायत्तता


भारत की आजादी से पहले ही सिक्किम को ब्रिटिश शासन के दौरान ही स्वायत्ता मिल गई। इसके बाद जब देश 1947 में अंग्रेजों के शासन से मुक्त हुआ, सिक्किम के चोग्याल (राजा) भारत में विलय के लिए तैयार नहीं थे। नेहरू चाहते थे कि जैसे भूटान के साथ भारत ने मित्रता की संधि की है, वैसे ही सिक्किम के साथ भी हो जाए। फिर 1950 में भारत-सिक्किम शांति (Sikkim Peace Agreement) समझौता हुआ। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी सिक्किम की आजादी की मांग उठी। 1967 की झड़प के बाद सिक्किम के चोग्याल पाल्डेन थोंडुप नामग्याल 1950 की संधि को बदलकर, सिक्किम को भूटान जैसा दर्जा देने की मांग करने लगे। इसके बाद 1963 में ताशी नामग्याल की मृत्यु हो गई और उनके बेटे पाल्डेन थोंडुप नामग्याल उनके उत्तराधिकारी बने। 1970 की शुरुआत तक राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मची रही, जिसके कारण वहां की जनता ने राजशाही को हटाने और लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना की मांग तेज कर दी। अंत में 1973 में सिक्किम दरबार के खिलाफ व्यापक रूप से आंदोलन शुरू हो गया।

 

सिक्किम बना भारत का 22वां राज्य

 

9 अप्रैल, 1975 की सुबह 5,000 भारतीय सैनिकों ने सिक्किम के राजा (चोग्याल) के महल पर धावा बोल दिया। उस दौरान राजमहल में मात्र 243 सिपाही मौजूद थे। इन सभी सिपाहियों पर काबू पाने के लिए भारतीय सैनिकों को सिर्फ 30 मिनट लगे थे। राजा चोग्याल को महल में ही नजरबंद कर दिया गया। अगले ही दिन 10 अप्रैल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। इस दौरान सिक्किम की जनता पूरी तरह से भारत में विलय (merger) की मांग उठा रही थी। 14 अप्रैल को सिक्किम में एक रेफरेंडम कराया गया, जिसमें सिक्किम के लोगों ने भारत में शामिल होने या न होने के लिए वोटिंग की। 97.5% यानी 59,637 लोगों ने भारत में शामिल होने के पक्ष में वोट किए, जबकि सिर्फ 1,496 लोगों ने इसका विरोध किया। 26 अप्रैल को सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने के लिए संसद में 36वां संविधान संशोधन बिल (Constitutional Amendment Bill) पास किया गया। 16 मई को इस पर राष्ट्रपति के दस्तखत करने के साथ ही सिक्किम 22वें राज्य के बतौर भारत का हिस्सा बन गया।

 

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