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खमेनेई का बड़ा बयान: अमेरिका न आता तो मिट जाता इजरायल!

खमेनेई का बड़ा बयान: अमेरिका न आता तो मिट जाता इजरायल!

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई ने ईरान-इजरायल युद्ध के बाद पहली बार खुलकर बयान दिया है। खमेनेई ने कहा कि ईरान ने न सिर्फ "झूठे ज़ायोनिस्ट शासन" यानी इजरायल को हराया, बल्कि अमेरिका के मुंह पर भी करारा तमाचा जड़ा है। दो दिन पहले हुए संघर्षविराम के बाद उनका यह बयान आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के हमलों को नाकाम बताया और दावा किया कि अगर अमेरिका बीच में न आता, तो इजरायल पूरी तरह तबाह हो जाता। खमेनेई ने कहा कि ईरान की सेना ने इजरायल की बहुस्तरीय सुरक्षा को भेदते हुए उसके सैन्य और शहरी ठिकानों को निशाना बनाया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगली बार अगर किसी ने ईरान पर हमला करने की कोशिश की, तो उसकी कीमत बहुत भारी होगी। उन्होंने अमेरिका के 'मिडनाइट हैमर' ऑपरेशन को भी फेल बताया और कहा कि अमेरिका कुछ भी हासिल नहीं कर सका।

 

 

दूसरी ओर, युद्ध के दौरान ईरान ने इस्फहान, नतांज और फोर्डो में मौजूद अपने परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी-इजरायली हमलों को झेला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन हमलों में ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई महीनों या सालों तक पीछे चला गया। इसके बावजूद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन हमलों से इजरायल और अमेरिका को जवाब दिया, जिससे ये साफ हुआ कि ईरान अब भी मजबूत है और इजरायल की एयर डिफेंस में कमजोरियां हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे ऐतिहासिक जीत बताया, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध विराम अस्थायी है और जमीनी हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। अमेरिका ने भी इस युद्ध को अपनी कूटनीतिक जीत बताया, लेकिन खुफिया एजेंसियों के मुताबिक ईरान की परमाणु ताकत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इस पूरे घटनाक्रम में तीनों देश—ईरान, इजरायल और अमेरिका—ने खुद को विजेता बताया है, लेकिन हकीकत यह है कि संघर्षविराम के बावजूद इलाके में अस्थिरता बरकरार है और अगली बड़ी भिड़ंत कभी भी हो सकती है। 

 

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