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Kolkata Law College Case: सुकांत मजूमदार रिहा, TMC ने बयानबाज नेताओं से बनाई दूरी

Kolkata Law College Case: सुकांत मजूमदार रिहा, TMC ने बयानबाज नेताओं से बनाई दूरी

Kolkata Law College Case: कोलकाता लॉ कॉलेज में में एक छात्रा के साथ गैंगरेप की शर्मनाक घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल में उबाल ला दिया है। घटना के बाद जहां राज्य सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं, वहीं BJP और TMC के बीच जबरदस्त सियासी टकराव देखने को मिल रहा है। मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पुलिस ने जांच के लिए SIT का गठन किया है।

 

गैंगरेप के चार आरोपी गिरफ्तार

कोलकाता स्थित एक लॉ कॉलेज की पहली वर्ष की छात्रा के साथ कथित तौर पर गैंगरेप की यह घटना 25 जून को कॉलेज परिसर में हुई। छात्रा का आरोप है कि यह अपराध गार्ड रूम के अंदर अंजाम दिया गया। Kolkata Law College Case की जांच करते हुए पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें छात्र मनोजित मिश्रा, प्रोमित मुखर्जी और जैद अहमद के अलावा एक सुरक्षा गार्ड भी शामिल है।इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोलकाता पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है जो अब मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।

 

महिला सुरक्षा पर राजनीति गरमाई

इस घटना ने महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दल BJP ने इसे ममता सरकार की "विफल कानून व्यवस्था" का उदाहरण बताया। बंगाल BJP प्रमुख और केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार ने कोलकाता में विरोध मार्च निकाला, जिसे गरियाहाट चौराहे से लॉ कॉलेज तक ले जाया जा रहा था। हालांकि पुलिस ने मार्च को रोक दिया और मजूमदार सहित 32 कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।

 

रविवार को सुकांता मजूमदार को रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर “बंगाल की बेटियों की सुरक्षा” के लिए उन्हें बार-बार गिरफ्तार होना पड़े, तो वे इसके लिए तैयार हैं।

 

टीएमसी नेताओं के बयान पर विवाद

इस गंभीर मामले के बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कुछ नेताओं के विवादास्पद बयान पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। नेता मदन मित्रा ने कहा कि “अगर छात्रा अपने साथ किसी को लेकर जाती, तो ये घटना नहीं होती।” वहीं सांसद कल्याण बनर्जी ने यह सवाल उठाया कि “अगर दोस्त ही रेप करें, तो स्कूलों में पुलिस कैसे तैनात की जाएगी?”

 

इन बयानों की चौतरफा निंदा हुई और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी अपनी ही पार्टी के नेताओं पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पार्टी इन बयानों से खुद को अलग कर चुकी है और यह नेताओं की व्यक्तिगत राय है।

 

ये भी पढ़ें : कोलकाता लॉ स्टूडेंट गैंगरेप के आरोपी का TMC नेताओं से संबंध

 

भाजपा की चार सदस्यीय जांच समिति

BJP ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली से एक चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। इसमें बिप्लब देब, मीनाक्षी लेखी, मनन मिश्रा और सत्यपाल सिंह शामिल हैं। यह टीम कॉलेज का दौरा कर पार्टी को रिपोर्ट सौंपेगी।

 

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कॉलेज प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि “कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति सीधे मुख्यमंत्री और अभिषेक बनर्जी के कार्यालय से होती है, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से राजनीतिक नियंत्रण में है।”

 

जनता में गुस्सा, कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

Kolkata Law College Case के सामने आने के बाद राज्य भर में आक्रोश है। इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है। लगातार बढ़ते अपराधों और नेताओं के गैर-जिम्मेदार बयानों के बीच जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है। अब देखना होगा कि SIT की जांच से न्याय कितनी जल्दी मिलता है और क्या इस मुद्दे पर सियासी पार्टियां जिम्मेदारी निभाएंगी या इसे सिर्फ एक और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल बना देंगी।

 

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