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भोपाल में पीएम ने कहा ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारी शक्ति के सामर्थ्य का प्रतीक बना

भोपाल में पीएम ने कहा ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारी शक्ति के सामर्थ्य का प्रतीक बना

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 31 मई भोपाल के दौरे पर हैं। वह लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में शामिल हुए। पीएम ने भोपाल के जंबूरी मैदान में एक जनसभा को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल पहुंचकर देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर डाक टिकट जारी किया। इसके अलावा उन्होंने इंदौर में मेट्रो सेवा और दतिया-सतना एयरपोर्ट का लोकार्पण किया।

 

भोपाल की जनता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'सिंदूर हमारी परंपरा है, नारी शक्ति का प्रतीक है। राम रंग में रंगे हनुमान जी ने भी सिंदूर का श्रृंगार किया था। शक्तिपूजा में भी सिंदूर का अर्पण किया जाता है। यह सिंदूर शौर्य का प्रतीक बन गया। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने भारत की संस्कृति पर भी प्रहार किया। हमारे समाज को बांटने की कोशिश की। आतंकवादियों ने भारत की नारी शक्ति को जो चुनौती दी थी, वह आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई।'

 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं। Chandrayaan-3 मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारी शक्ति के सामर्थ्य का प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं कि बीएसएफ का ऑपरेशन में बहुत बड़ा रोल रहा है। कश्मीर से गुजरात तक बीएसएफ की बेटियां मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमा पार से हो रही फायरिंग का जवाब दिया है। बीएसएफ की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है। बेटियों का शौर्य पूरी दुनिया देख रही है।'

 

पीएम मोदी ने कहा, 'देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेक मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। 250-300 साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था। लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा को कभी अलग नहीं माना।

 

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