
Banke Bihariji 01 March Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि
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Neha
- March 1, 2025
Banke Bihariji 01 March Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है जो रात 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। आज फुलेरा दूज का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है। ऐसा कहा जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है।
आज का पंचांग- 01 मार्च 2025
ऋतु - वसंत
चन्द्र राशि - मीन
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 23 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 07 बजकर 35 मिनट पर
चन्द्रास्त - शाम 07 बजकर 56 मिनट पर
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शुभ मुहूर्त
त्रिपुष्कर योग - सुबह 06 बजकर 46 मिनट से 11 बजकर 22 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - सुबह 09 बजकर 32 मिनट से शाम 11 बजकर 10 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 06 बजकर 52 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट तक।
दिशा शूल - पूर्व
ताराबल
भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन।
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शनिवार को करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय।
- सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा॥
- नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः॥
- ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा॥
निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी
संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
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