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गुरु पूर्णिमा 2025, गुरु के चरणों में समर्पण का दिन

गुरु पूर्णिमा 2025, गुरु के चरणों में समर्पण का दिन

गुरुओं को समर्पित एक प्रसिद्ध त्यौहार है गुरु पूर्णिमा

 

भारत एक ऐसा देश है जहाँ गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व न केवल शिक्षा से जुड़ा है, बल्कि आत्मिक और सामाजिक मार्गदर्शन के लिए भी विशेष महत्व रखता है। गुरु के महत्व को प्रतिपादित करने वाले सनातन संस्कृति के विशेष दिवस गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व को मनाया जाता है। शिक्षकों के अलावा, माता-पिता, सच्चे मित्र और अच्छे लेखक भी हमारे जीवन के गुरु हो सकते हैं। जो व्यक्ति हमें सही राह दिखाए, गलतियों से रोके और जीवन के मूल्य सिखाए वही सच्चा गुरु है। इसलिए हमें अपने जीवन में हर उस व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए जो हमें कुछ अच्छा सिखाता है। 

 

गुरु कौन होता है ?


गुरु केवल शिक्षा संबंधी ज्ञान देने वाला नहीं होता, बल्कि वह जीवन की दिशा भी तय करता है। संस्कृत में "गु" का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) और "रु" का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। एक सच्चा गुरु अपने शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में गुरु को 'ब्रह्मा, विष्णु और महेश' के समान माना गया है। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं और उनकी उन्नति में सहायक बनते हैं। लोक में सामान्यतः दो तरह के गुरु होते हैं। प्रथम तो शिक्षा गुरु और दूसरे दीक्षा गुरु। शिक्षा गुरु बालक को शिक्षित करते हैं और दीक्षा गुरु शिष्य के अंदर संचित विकारों को निकाल कर उसके जीवन को सत्यपथ की ओर अग्रसित करते हैं।

 

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?


गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरू को फूल, मिठाई, उपहार देते है और उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और ध्यान व भक्ति में समय बिताते हैं। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और उनकी दी गई शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लेते हैं। योग और ध्यान करने वाले लोग भी इस दिन को विशेष महत्व देते हैं, क्योंकि यह आत्म-शुद्धि और आत्मबोध का दिन माना जाता है।

 

गुरु पूर्णिमा 2025 का मुहूर्त

 

पंचांग के अनुसार जुलाई महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई की रात 1 बजकर 36 मिनट से हो रही है और इसका समापन 11 जुलाई की रात 2 बजकर 6 मिनट पर होगा। इसलिए इस बार 10 जुलाई 2025 को पूर्णिमा पड़ रही है और इसी दिन का गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।


गुरु पूर्णिमा का महत्व

 

गुरु पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया और "महाभारत" जैसे महान ग्रंथ की रचना की। इसलिए इस दिन को "व्यास पूर्णिमा" भी कहा जाता है। भगवन शिव ने सबसे पहले सप्तऋषियों को ज्ञान दिया और पहले गुरु बने थे, इसलिए गुरु पूर्णिमा का दिन भगवन शिव के लिए भी महत्वपूर्ण है।


शास्त्रों में गुरु की महिमा


गुरु की महिमा अनंत और अपरंपार है। वे ज्ञान के प्रकाश स्तंभ होते हैं जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उनके बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव मानी गई है। वेदों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है।''गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः'' अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

 

गुरु का अर्थ और भूमिका


‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है उसका नाश करने वाला। इस तरह "गुरु" वह होता है जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। कबीरदास जी की पंक्ति "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय", यहाँ गुरु को गोविंद से भी ऊँचा स्थान दिया गया है, क्योंकि गुरु ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं।

 
गुरु के बिना जीवन अधूरा है


जैसे एक पेड़ को बढ़ने के लिए ज़मीन और पानी की ज़रूरत होती है, वैसे ही इंसान को अच्छा इंसान बनने के लिए एक सच्चे गुरु की ज़रूरत होती है। जो व्यक्ति जीवन में गुरु को अपना मार्गदर्शक बनाता है, वह कभी रास्ता नहीं भटकता। गुरु न केवल हमें ज्ञान देता है, बल्कि हमारे अंदर आत्मविश्वास, नैतिकता और धैर्य जैसे अच्छे गुण भी लाता है। जीवन में सफलता, संस्कार और आत्म-विकास के लिए एक मार्गदर्शक का होना बहुत ज़रूरी होता है। गुरु केवल स्कूल या कॉलेज का शिक्षक नहीं होता, बल्कि माता-पिता, जीवन में आने वाले अच्छे विचार, किताबें और अनुभव भी हमारे गुरु हो सकते हैं।

 

गुरु पूर्णिमा 2025 एक ऐसा अवसर है जब हम उन सभी लोगों को धन्यवाद कह सकते हैं जिन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दिया है। यह दिन केवल उत्सव नहीं है, बल्कि अपने भीतर झाँकने और अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का समय है। गुरु हमें यह सिखाते हैं कि सफलता केवल ज्ञान से नहीं, बल्कि अच्छे संस्कारों और सही दिशा से मिलती है। "गुरु पूर्णिमा पर आइए संकल्प लें कि हम ज्ञान, श्रद्धा और सच्चाई के मार्ग पर चलें और अपने गुरुओं को जीवनभर सम्मान दें।"

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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