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औषधि से भरपूर है हल्दी, रखें कई बिमारियों से दूर

औषधि से भरपूर है हल्दी, रखें कई बिमारियों से दूर

यूं तो प्रायः सभी प्रकार के कंद जो मिटटी के नीचे पाए जाते हैं, मनुष्य के लिए किसी न किसी प्रकार से उपयोगी है लेकिन 'कंद हल्दी' का अपना एक विशिष्ट स्थान है। आयुर्वेद में हल्दी का विशेष महत्व है। इसे पावरफुल जड़ी-बूटी मानी जाती है। हल्दी का उपयोग पाचन, इम्यूनिटी और त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है. इसमें कर्क्यूमिन नामक मुख्य सक्रिय घटक होता है, जो अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है. हल्दी आपको मजदूर की झोपड़ी से लेकर राष्ट्रपति की किचन में भी मिल जायेगी।

 

प्रकृति ने जहाँ इतने बड़े-बड़े रोग पैदा किये है, वहाँ उनको शांत करने के साधन भी साथ ही पैदा कर दिये है। प्राचीन ग्रंथों को पढ़ने से पता चलता है कि यदि भोजन के साथ हल्दी का प्रयोग न किया जाये तो हर मनुष्य रोग का शिकार बना रहे। इसीलिए प्रकृति ने हल्दी का प्रयोग अत्यावश्यक कर दिया है। हल्दी एक अचूक औषधि है और हमारे शरीर के दर्द के लिए रामबाण।

 

हल्दी अधिकतर पहाड़ी इलाके के खेतों में पाई जाती है। इसके पत्ते अदरक के समान होते है, हमारे प्राचीन चिकित्सकों ने इसके चार भेद माने है-

  • साधारण हल्दी जो हम खाते
  • कापूर हल्दी (अम्बा हल्दी)
  • वन हल्दी
  • दारू हल्दी

साधारण हल्दी खेतों में उगाई जाती है और बहुतायत से किसान पैदा करते है। कापूर हल्दी (अम्बा हल्दी) जंगली इलाकों में बहुत पाई जाती है इसके पत्ते बड़े और गोल होते हैं। इसकी गांठे बड़ी और अन्दर से लाल होती हैं। इसके पत्तों में कपूर जैसी सुगन्ध आती है। वन हल्दी के पत्ते भी साधारण हल्दी की भांति होते है और यह भी जंगलों में अधिक पाई जाती है। दारू हल्दी पहाड़ी इलाकों में एक झाड़ी के समान फैली होती है। इसकी लकड़ी भी पीले रंग की होती है। इसके पत्ते सख्त व खुरदरे होते है, इसकी लकड़ी दवाई के काम आती है।

 

हल्दी की मान्यता और उपयोगिता

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी उष्ण, सौंदर्यवर्द्धक, रक्तशोधक, कफ नाशक, पित्त नाशक तथा यकृत के लिए उत्तेजित, चरपरी, कड़वी, रूखी, चमड़ी के रोग, मधुमेह,रक्त विकार, सूजन, एनिमिया और फोड़ों का नाश करती है। इसके प्रतिदिन सेवन से किसी प्रकार की हानि नहीं है बल्कि लाभ ही लाभ है।

 

यूनानी हकीमों का भी यही मत है कि हल्दी मूत्रल (पेशाब लाने वाली) और पेट या मसाने (आमाशय) के सारे विकार निकाल देती है। बुढ़ापे में जिनको दस-दस मिनट बैठकर भी मूत्र नहीं उतरता हो, हल्दी उनके लिए वरदान है। यहाँ तक कि मधुमेह जैसे रोगों में भी यह अत्यन्त गुणकारी है। पाश्चात्य डॉक्टरों का यह मानना है कि हल्दी को पीला रंग देने वाला पदार्थ 'करक्यूमिन' होता है। इसके कारण हल्दी कैंसर में होने वाले कोशिकीय परिवर्तनों को रोकती है। यहाँ तक कि यह डीएनए को होने वाली हानि से बचाती है। इसके अतिरिक्त जलन पैदा करने वाले विषैले तत्वों में भी कमी लाती है।

 

हल्दी में पाए जाने वाले तत्व 

100 ग्राम हल्दी में 6 ग्राम प्रोटीन, 5 ग्राम वसा, 3-5 मि.ग्रा. खनिज, 2.6 ग्राम रेशा, 69 मि.ग्रा. कार्बोज, 150 मि.ग्रा. कैल्शियम, 28 मि.ग्रा. फास्फोरस, 5 मि.ग्रा. लोहा, 50 मि.ग्रा. विटामिन 'सी' होता है। इसमें अनेक फाइटो केमीकल्स होते है जो हमें पोषण देते है और रोगों से बचाते है।

 

हल्दी के बहुत सारे चिकित्सा प्रयोग हैं जिनसे कुछ बीमारी में उपयोग जानते हैं -

 

पेट के रोगी के लिए- जिन लोगों पेट से जुड़ी समस्याएं रहती है उनके लिए हल्दी का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन डाइजेस्टिव एंजाइम्स के उत्पादन को स्टिमुलेट करता है। हल्दी पेट में गैस्ट्रिक जूसेस के प्रोडक्शन को बढ़ावा देती है जिससे पेट में जलन की समस्या दूर होती है।

दाद पर - हल्दी की गांठ को पानी से घिसकर दाद पर लेप दीजिए। सूख जाने पर दोबारा लेप दें। यह सदियों पुराना सफल इलाज है।

जुकाम से सिरदर्द पर - पिसी हल्दी की चुटकी भरकर आग पर डालें और उसके धुंए को नाक से खींचे यानी घूनी ले, छोंकें आयेंगी, जमा कफ निकल लायेगा और शांति मिलेगी।

ठण्ड लगकर चढ़ने वाले बुखार पर - दूध में हल्दी व काली मिर्च मिलाकर पीने से बुखार ठीक होता है।

हिचकी आने पर - चुटकी भर हल्दी को जीभ पर रखने से हिचकी आनी बंद हो जाती है।

माइग्रेन पर - नौसादर और हल्दी को मिलाकर एक कप पानी में उबालकर भाप सूंघने पर सिरदर्द मिटता है।

खांसी के लिए- कफ की खांसी के लिए हल्दी की गांठों को सरसों के तेल में थोड़ा भूनकर चूर्ण बना ले और शहद के साथ प्रयोग करें। कफ बाहर निकल जायेगा। नमक के साथ मिलाकर चाटने से खांसी में राहत मिलती है।

बहुमूत्र पर - जब मूत्र अधिक और बार-बार आता हो तब हल्दी और तिल का चूर्ण बनाकर गुड़ में मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।

दमे के लिए - हल्दी और काली मिर्च समभाग बरीक पीसकर 6 ग्राम की मात्रा गुड़ में मिलाकर खाने से जमा हुआ बलगम बाहर हो जाता है और दमे से लाभ होता है।

रक्त विकार- यदि खून में खराबी हो तो हल्दी का दो ग्राम चूर्ण गाय के दूध से प्रयोग करना चाहिए।

मुंह के छालों पर - दारू हल्दी के काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छाले शीघ्र ठीक हो जाते है।

गले की खराबी पर - गर्म दूध में चार चुटकी हल्दी डालकर रात को पीने से गला साफ होता है।

पेट के रोगों पर एक - चम्मच कच्ची हल्दी का रस और एक चम्मच शहद प्रतिदिन प्रातः प्रयोग करें। बड़ा लाभ मिलेगा।

लीवर कैंसर में - एक छोटा चम्मच हल्दी पिसी हुई छाछ (मठ्या) में मिलाकर लगातार पीने से लीवर कैंसर में लाभहोता है।

मधुमेह नियंत्रण में - एक चम्मच पिसी हल्दी प्रातः गुनगुने पानी के साथ लें।

अपने विवेकानुसार उपरोक्त प्रयोग करें। रोग के कारण का निवारण ही उचित उपचार है।

 

पर्याप्त मात्रा में करें सेवन

हल्दी को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले इसके सेवन का सही तरीका जान लेना बेहद जरूरी है। हल्दी में कैल्शियम ऑक्सलेट की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे अधिक खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इससे किडनी स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा एलर्जी और दस्त भी हो सकता है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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