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झालावाड़ स्कूल हादसा: मासूमों की मौत, लापरवाही का बोझ और सिस्टम पर उठते सवाल

झालावाड़ स्कूल हादसा: मासूमों की मौत, लापरवाही का बोझ और सिस्टम पर उठते सवाल

पिपलौदी स्कूल में सुबह की चहक से मातम तक का सफर

25 जुलाई 2025 की सुबह राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलौदी स्कूल में बच्चों की चहक गूंज रही थी। लेकिन यह माहौल कुछ ही पलों में मातम में बदल गया, जब स्कूल की छत भरभराकर गिर गई। इस झालावाड़ स्कूल हादसा में सात मासूम बच्चों की मौत हो गई और 28 घायल हुए। यह घटना केवल एक इमारत गिरने का मामला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण बन गई।

 

हादसे से पहले चेतावनी, फिर भी कार्रवाई नहीं

स्थानीय लोगों ने हादसे से पहले ही प्रशासन को पिपलौदी स्कूल की जर्जर हालत के बारे में सूचित किया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। यह लापरवाही अब राजस्थान स्कूल दुर्घटना के रूप में सामने आई, जिसने न केवल एक गांव को बल्कि पूरे राज्य को हिला दिया।

 

शिक्षकों पर कार्रवाई और बढ़ता आक्रोश

हादसे के बाद राज्य सरकार ने स्कूल के केयरटेकर हेडमास्टर और चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया। इससे शिक्षक संगठनों में आक्रोश फैल गया। राजस्थान शिक्षक संघ ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह शिक्षकों को बलि का बकरा बना रही है, जबकि भवन की गुणवत्ता की जिम्मेदारी इंजीनियरों की होती है। शिक्षकों ने बताया कि वे "शाला दर्पण" पोर्टल पर शिकायत दर्ज करते हैं, लेकिन सिस्टम में कई बार स्कूल का नाम ही नहीं दिखता, जिससे शिकायत अधूरी रह जाती है।

 

अधिकारियों पर देरी से कार्रवाई

शिक्षा विभाग के छह अधिकारियों पर कार्रवाई एक दिन बाद हुई। इससे यह सवाल उठा कि क्या सरकार सिर्फ दिखावे के लिए कदम उठा रही है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि वे अपनी जेब से सभी स्कूलों की मरम्मत नहीं करा सकते। उन्होंने बताया कि पिपलौदी स्कूल की मरम्मत के लिए ₹1 लाख की राशि डांग विकास बोर्ड से मिली थी, लेकिन हादसा दीवार गिरने से हुआ। इस बयान ने सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए।

 

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और सख्त टिप्पणी

झालावाड़ स्कूल हादसा पर राजस्थान हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए इस घटना को “दिल दहलाने वाला” बताया। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। अदालत ने कहा कि यदि पहले से जताई गई चिंताओं पर ध्यान दिया गया होता, तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। कोर्ट ने घटिया निर्माण सामग्री और लोक निर्माण विभाग की अनदेखी को इस राजस्थान स्कूल दुर्घटना का मुख्य कारण माना।

 

सभी ग्रामीण स्कूलों का ऑडिट और ऑनलाइन पोर्टल का सुझाव

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सभी ग्रामीण स्कूलों की इमारतों का स्वतंत्र ऑडिट हो। साथ ही, एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए जहां अभिभावक और छात्र स्कूल की जर्जर स्थिति की तस्वीरें और वीडियो अपलोड कर सकें। यह कदम भविष्य में राजस्थान स्कूल दुर्घटना को रोकने में मदद कर सकता है।

 

NHRC की मांग और रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया। NHRC रिपोर्ट के लिए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस अधीक्षक से जानकारी मांगी गई है, जिसमें घायल बच्चों की स्थिति और मृतकों के परिजनों को दी गई सहायता का पूरा ब्यौरा हो। आयोग ने स्पष्ट किया कि इस NHRC रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।

 

क्या हादसे रुकेंगे या इतिहास दोहराएगा खुद को?

विशेषज्ञों और आम जनता का कहना है कि यह झालावाड़ स्कूल हादसा कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के महीनों में कई जगहों पर स्कूल की छत या दीवार गिरने के मामले सामने आए हैं—कभी छुट्टी होने के कारण जान बच गई, तो कभी किस्मत से बड़ा हादसा टल गया। सवाल यह है कि क्या दोषियों पर वाकई सख्त कार्रवाई होगी, या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा? क्या बच्चों की जान की कीमत सिर्फ एक निलंबन है?

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. झालावाड़ स्कूल हादसा कब और कहां हुआ?
Ans. 25 जुलाई 2025 को राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलौदी स्कूल में यह हादसा हुआ, जब स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत और 28 बच्चे घायल हो गए।

 

Q2. इस राजस्थान स्कूल दुर्घटना का मुख्य कारण क्या था?
Ans. हाईकोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियों और स्थानीय लोगों के अनुसार, जर्जर भवन, घटिया निर्माण सामग्री और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही इस राजस्थान स्कूल दुर्घटना के प्रमुख कारण थे।

 

Q3. हादसे में कितने लोग प्रभावित हुए?
Ans. इस घटना में सात बच्चों की मौत हुई और 28 घायल हुए। घायलों में कई की हालत गंभीर बताई गई।

 

Q4. सरकार ने हादसे के बाद क्या कदम उठाए?
Ans. सरकार ने पिपलौदी स्कूल के हेडमास्टर और चार शिक्षकों को निलंबित किया तथा शिक्षा विभाग के छह अधिकारियों पर एक दिन बाद कार्रवाई की। इसके अलावा, हाईकोर्ट ने सभी ग्रामीण स्कूलों की इमारतों का ऑडिट कराने का आदेश दिया।

 

Q5. NHRC रिपोर्ट में क्या मांगा गया है?
Ans. NHRC रिपोर्ट के तहत राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस अधीक्षक से हादसे की पूरी जानकारी, घायल बच्चों की स्थिति और मृतकों के परिजनों को दी गई सहायता का ब्यौरा मांगा गया है।

 

Q6. क्या यह हादसा पहली बार हुआ है?
Ans. नहीं, यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई स्कूलों में छत या दीवार गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन कई बार छुट्टी या अन्य कारणों से बड़ा नुकसान टल गया।

 

Q7. हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या कहा?
Ans. हाईकोर्ट ने इसे “दिल दहलाने वाला हादसा” बताया और कहा कि अगर पहले चेतावनी पर ध्यान दिया जाता तो मासूम बच्चों की जान बच सकती थी। अदालत ने ऑनलाइन शिकायत पोर्टल बनाने का भी सुझाव दिया।

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