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न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के 52वें CJI

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के 52वें CJI

 

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश

 

भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। वह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 6 महीने का रहा।

 

न्यायमूर्ति गवई का परिचय - व्यक्तिगत और पेशेवर यात्रा

 

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की और बाद में नागपुर बेंच पर संविधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेष अभ्यास किया। वह 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया।

 

SC का महत्वपूर्ण निर्णय

 

न्यायमूर्ति गवई ने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं, जिनमें 2016 की नोटबंदी योजना को वैध ठहराना, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति को सही ठहराना शामिल है। उनके निर्णय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण मील के पत्थर रहे हैं।

 

न्यायपालिका में विविधता और समावेशन

 

न्यायमूर्ति गवई का कहना है कि भारतीय संविधान में निहित सकारात्मक भेदभाव के कारण ही वह उच्च न्यायिक पदों तक पहुंचे। उन्होंने बताया कि जब वह 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए, तो वहां कोई दलित न्यायाधीश नहीं था। उनकी नियुक्ति इस समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। वह भारत के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश होंगे और दलित समुदाय से दूसरे न्यायाधीश, न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन के बाद यह पद ग्रहण करेंगे। उनकी नियुक्ति भारतीय संविधान में निहित समानता और समावेशिता के सिद्धांतों को सशक्त करती है।

 

भविष्य की दिशा

 

न्यायमूर्ति गवई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई है। उनका कहना है कि मुख्य न्यायाधीश का कार्य पूरे न्यायपालिका को समान नेतृत्व प्रदान करना और उसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।

 

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका के लिए गर्व का विषय है। उनकी न्यायिक यात्रा और समर्पण से यह प्रतीत होता है कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उनकी नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका नई ऊंचाइयों को छुएगी।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

 

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