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संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई का काम

संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई का काम

संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई का कार्य आरंभ हो गया है। यह कार्य दो पेशेवर पेंटरों द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें विशेष रूप से दिल्ली से बुलाया गया है। इस प्रक्रिया की निगरानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों द्वारा की जा रही है, जो सुनिश्चित कर रहे हैं कि मस्जिद की संरचना को कोई नुकसान न पहुंचे। बुलाए

 

इससे पूर्व, मस्जिद कमेटी ने रमज़ान के पवित्र महीने के मद्देनज़र रंगाई-पुताई की अनुमति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए केवल बाहरी दीवारों की रंगाई-पुताई की अनुमति प्रदान की। साथ ही, अदालत ने निर्देश दिया कि मस्जिद के बाहरी हिस्से पर लाइट्स लगाई जा सकती हैं, लेकिन किसी भी संरचनात्मक परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को निर्धारित की है।

 

रंगाई-पुताई का कार्य शुरू करने से पहले, ASI की एक टीम ने मस्जिद के पश्चिमी हिस्से का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के बाद, दिल्ली से आए पेशेवर पेंटरों ने मस्जिद की बाहरी दीवारों की पुताई का कार्य सावधानीपूर्वक शुरू किया। पेंटरों ने बताया कि वे कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए संरचना को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रख रहे हैं।

 

इस बीच, हिंदू पक्षकारों ने मस्जिद की रंगाई में हरे रंग के उपयोग पर आपत्ति जताई है और सफेद रंग से पुताई करने की मांग की है। उनका कहना है कि इमारत को सफेद रंग से पोता जाना चाहिए, जो न तो हिंदू और न ही मुस्लिम समुदाय से संबंधित होगा। काम

 

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मस्जिद की रंगाई-पुताई का कार्य रमज़ान के महीने से पहले पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु स्वच्छ और सुंदर वातावरण में इबादत कर सकें। स्थानीय प्रशासन और ASI इस कार्य को समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, मस्जिद कमेटी, स्थानीय प्रशासन और ASI के बीच समन्वय देखा गया है, जिससे कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। यह कदम सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी सहयोग का प्रतीक है, जो समाज में एकता और शांति को बढ़ावा देता है।

 

संभल की शाही जामा मस्जिद में चल रही इस रंगाई-पुताई प्रक्रिया ने स्थानीय समुदाय में उत्साह और सकारात्मकता का संचार किया है। यह पहल न केवल धार्मिक स्थलों की देखभाल के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में समुदाय की सक्रिय भागीदारी को भी प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार, संभल की शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई का कार्य न केवल एक संरचनात्मक सुधार है, बल्कि यह समुदाय के बीच सहयोग, सम्मान और सांस्कृतिक विरासत के प्रति प्रेम का प्रतीक भी है।

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