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South Korea President Election 2025: मजदूरी से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

South Korea President Election 2025: मजदूरी से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

साउथ कोरिया में ऐतिहासिक बदलाव: ली जे-म्युंग बने नए राष्ट्रपति

साउथ कोरिया में 3 जून 2025 को हुए South Korea President Election ने इतिहास रच दिया. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्युंग ने कंज़र्वेटिव पार्टी के किम मून-सू को भारी मतों से हराकर देश के नए राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया. यह विशेष चुनाव उस संकट के बाद हुआ, जब पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल ने 3 दिसंबर 2024 को देश में मार्शल लॉ लगा दिया था, जिसने पूरे लोकतांत्रिक तंत्र को हिला दिया. इसके विरोध में विपक्ष ने जबरदस्त प्रतिरोध किया और संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया, जिसे अप्रैल 2025 में संवैधानिक न्यायालय ने मंजूर करते हुए यून को हटा दिया. इसके बाद जून में South Korea President Election कराना जरूरी हो गया. 85% से ज्यादा मतों की गिनती में स्पष्ट बढ़त हासिल करने वाले ली जे-म्युंग ने यह साबित कर दिया कि जनता अब लोकतंत्र की बहाली और स्थिरता चाहती है. इस चुनाव में 80% से ज्यादा मतदान हुआ, जो 1997 के बाद सबसे अधिक है. यह दर्शाता है कि आम लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरी ताकत से आगे आए और South Korea President Election को सिर्फ वोटिंग नहीं बल्कि एक जनआंदोलन बना दिया.

 

दीवार फांदकर संसद में घुसे थे ली जे-म्युंग, जनता का बना हीरो

ली जे-म्युंग का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा. जब पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल ने मार्शल लॉ की घोषणा की, तब विपक्षी नेताओं को संसद में घुसने से रोका गया. उस समय ली ने बिना डरे दीवार फांदकर संसद भवन में प्रवेश किया और पूरी घटना को यूट्यूब लाइव कर दिया. यह वीडियो वायरल हो गया और देखते ही देखते वे युवाओं के बीच लोकतंत्र के प्रतीक बन गए. उसी दिन संसद में मार्शल लॉ के खिलाफ वोटिंग करवाई गई. इसके बाद ली ने अपने चुनाव प्रचार को “जनता का न्याय दिवस” बताया और साफ कहा कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि आत्मसम्मान की वापसी है. इस संघर्ष और साहस के कारण वे South Korea President Election में सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे. किम मून-सू ने अपनी हार स्वीकार करते हुए ली को बधाई दी और कहा कि अब देश को एकता और स्थिरता की ओर ले जाना जरूरी है. किम पूर्व राष्ट्रपति यून के करीबी और पूर्व श्रम मंत्री भी रह चुके हैं.

 

संघर्षों से उठकर राष्ट्रपति तक पहुंचे ली जे-म्युंग

ली जे-म्युंग का जीवन हमेशा से संघर्षों से भरा रहा है. वे बचपन में बेहद गरीबी में पले-बढ़े, और बाल मजदूर के तौर पर काम करते हुए पढ़ाई की. कानून की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने मानवाधिकार वकील के रूप में करियर शुरू किया और फिर सियोंगनाम के मेयर, ग्योंगगी प्रांत के गवर्नर बने. 2022 में वे South Korea President Election हार गए थे, लेकिन राजनीति से पीछे नहीं हटे. उन्होंने विपक्ष का नेतृत्व करते हुए जनता की आवाज को लगातार संसद और सड़कों पर उठाया. जनवरी 2024 में बुसान में एक जानलेवा हमले में वे बुरी तरह घायल हुए थे, जब एक शख्स ने उनके गले पर चाकू से वार किया. उन्हें एयरलिफ्ट कर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ. इसके बाद उनकी छवि और मजबूत हुई. चुनाव से पहले उन्होंने युवाओं, मध्यम वर्ग और श्रमिकों को देश के पुनर्निर्माण में भागीदार बनाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि वे उत्तर कोरिया के साथ शांति की पहल करेंगे और राजनीतिक ध्रुवीकरण को खत्म करने का प्रयास करेंगे. South Korea President Election की इस ऐतिहासिक जीत ने साफ कर दिया है कि जनता अब नए नेतृत्व और ईमानदार बदलाव चाहती है. ली जे-म्युंग की प्राथमिकता अब राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक सुधार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल करना होगा, जिससे साउथ कोरिया एक बार फिर मजबूती से उभर सके.(South Korea President Election) इस साल का सबसे बड़ा राजनीतिक मोड़ साबित हुआ है, जो न केवल साउथ कोरिया के भविष्य को प्रभावित करेगा बल्कि पूरे एशिया में लोकतांत्रिक मूल्यों की मिसाल भी बनेगा।

 

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