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सत्ता की टोपी: ठाकरे का ब्रांड vs शिंदे की दावेदारी

सत्ता की टोपी: ठाकरे का ब्रांड vs शिंदे की दावेदारी

मुंबई बीएमसी चुनाव: उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की प्रतिष्ठा की जंग

 

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को अब सिर्फ स्थानीय निकाय चुनाओं से नहीं, बल्कि शिवसेना की दो गुटों—उद्धव ठाकरे (UBT) और एकनाथ शिंदे (Balasahebanchi Shiv Sena)—के बीच “असली ठाकरे कौन?” की प्रतिष्ठा बचाने की जंग भी कहा जा रहा है। एक ओर उद्धव, जिनसे उनका नाम और चुनाव चिन्ह छीना गया, दूसरी ओर शिंदे, जो अब तक हर चुनाव में मुख्यमंत्री बनकर उतरे लेकिन इस बार नहीं।


स्थापना दिवस की टक्कर: निशान, गठबंधन और वार-प्रतिवार


19 जून को शिवसेना स्थापना दिवस पर उद्धव व शिंदे की तीखी टकराहट देखने को मिली। उद्धव ठाकरे ने भाजपा और शिंदे पर प्रहार करते हुए कहा कि "ठाकरे ब्रांड को खत्म करने की कोशिश करे तो हम भाजपा को खत्म कर देंगे।" उन्होंने राज ठाकरे व गठबंधन संकेतों पर भी विवादास्पद बयान दिए।

एकनाथ शिंदे ने उल्टा तंज कसते हुए कहा, "खाल से बाघ नहीं बनते" और दावा किया कि असली शिवसेना वही है जिसके पास धनुष-बाण है और जिसने हिंदुत्व को थामा है।


भाजपा की रणनीति और UBT की चुनौती


बीजेपी मुंबई प्रमुख अशिश शेलार ने शिवसेना (UBT) को "खस्ता हालत" बता दिया और 100 से ज़्यादा पूर्व नगरसेवकों का स्वागत किया। बसपा/मुस्लिम सीधा आरोप लगाते नजर आ रहे हैं कि उद्धव कांग्रेस के वोट बैंक पर निर्भर हैं, जबकि शिंदे Shiv Sena‑BJP Mahayuti गठबंधन के हिस्से के रूप में शक्ति में हैं।


अंदरूनी रणनीति: मतदाता संपर्क और चुनाव की बिसात


उद्धव ठाकरे: अपने सांसदों/विधायकों संग डिनर बैठक कर रहे हैं; किले तयार—300 घर प्रति वार्ड तक पहुंचने का आदेश। भ्रष्टाचार पर वार, और वोटर्स को सक्रिय करने की रणनीति ।

एकनाथ शिंदे: विधानसभा चुनावों में हार का श्रेय भाजपा को दे रहे हैं। उनका फोकस है—बीएमसी में अधिक सीटें जीतकर विधानसभा जैसा धोखा नहीं दोहराना; दैनिक जनता और नगरसेवकों को जोड़कर कार्यगति देना ।


पिछला परिणाम: शिंदे का पलड़ा भारी रहा


2024 विधानसभा चुनाव में शिंदे‑बीजेपी गठबंधन ने उबाट (UBT) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया. इससे स्पष्ट होता है कि शिंदे की शिवसेना को वोटरों और नेताओं का समर्थन अधिक मिला।

 

BMC = सत्ता का केंद्र

 

बीएमसी चुनाव की अहमियत को समझिए. ये एशिया का सबसे धनी नगर निगम है, जिसका बजट ₹74,427 करोड़ था. 1996 से 2022 तक बीएमसी मेयर शिवसेना परिवार से ही आते रहे। हारने पर ठाकरे परिवार की मुंबई में प्रभाव समाप्त हो सकता है। शिंदे भी जानता है—जीत का रास्ता बीएमसी से होकर जाता है।


आगामी मुकाबला: शिवसेना vs शिवसेना


यह सिर्फ UBT और BS‑Shiv Sena की जंग नहीं, आगे बुद्धिजीवी और राज ठाकरे की भूमिका भी तय होगी – क्या उद्धव और राज गठबंधन बना सकते हैं? सवाल यह है—क्या हिंदुत्व और शिवसेना‑बाज़ार की सियासत में शिंदे का गठबंधन कामयाब होगा, या ठाकरे का हार्डलाइन माहौल लोगों को साथ खींचेगा?


बीएमसी चुनाव ठाकरे विरासत को बचाने की “आख़िरी लड़ाई” कही जा रही है—जहां दावते-इमामदारी, हिंदुत्व की नीति, और विकास व भ्रष्टाचार पर टकराव के बीच, मुम्बई की जनता ही फैसला करेगी कि – असली ठाकरे कौन है?

 

 

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