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’पानी क्यों दूं पंजाब को?’ – CM उमर अब्दुल्ला का तीखा जवाब!

’पानी क्यों दूं पंजाब को?’ – CM उमर अब्दुल्ला का तीखा जवाब!

उमर अब्दुल्ला ने नहर प्रस्ताव ठुकराया


जम्मू–कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव का तीखा विरोध किया है, जिसमें जम्मू–कश्मीर से 113 किलोमीटर लंबी नहर के ज़रिए सिंधु प्रणाली की तीन पश्चिमी नदियों (चेनाब, झेलम, इंडस) का अतिरिक्त पानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को भेजने की योजना बन रही है ।


उमर - मैं पंजाब को पानी क्यों दूँ ?


पत्रकारों से बातचीत में उमर ने साफ शब्दों में कहा: “पहले हम इसका उपयोग करेंगे, फिर देखेंगे। जम्मू में सूखे जैसी स्थिति है। पंजाब को पहले से ही सिंधु जल संधि के तहत अधिकार हैं—क्या उन्होंने हमें जब हमें जरूरत थी, तब पानी दिया?”


पठानकोट विवादित बैराज


मुख्यमंत्री ने पठानकोट में सात दशक पुरानी शाहपुर कंडी बैराज परियोजना का भी जिक्र किया— यह रावी नदी पर बना बैराज पाकिस्तान को पानी जाने से रोकने के उद्देश्य से था, लेकिन 1979 समझौते के बाद विवादों का विषय बना रहा; 2018 में ही केंद्र सरकार की मध्यस्थता से यह फिर शुरू हुआ । बता दें कि पिछले महीने, भारत सरकार ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान को जाने वाला पानी अब उत्तरी भारतीय राज्यों में उपयोग होगा। जल शक्ति मंत्रालय ऑपरेशन सिंदूर नाम से युद्धस्तर पर आगे बढ़ रहा है ताकि “एक भी बूंद पाकिस्तान न जाए” ।


शिअद का पलटवार


शिरोमणि अकाली दल के नेता एवं पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने उमर के बयान पर प्रतिक्रिया दी और कहा: “जब भी जल बंटवारे की बात हुई, पंजाब को सबसे ज्यादा चोट लगी है। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पंजाब के जल संसाधन राजस्थान जैसे गैर-सीमावर्ती राज्यों को दे दिए गए—यह ऐतिहासिक अन्याय था। पंजाब के किसान भारी कर्ज़ के बोझ तले दबे हैं।” चीमा ने सुझाव दिया कि उमर को किसानों की वास्तविक ज़रूरतों पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह बयान राज्यों के बीच जल-तकरार को और बढ़ा सकता है। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अब जब सिंधु जल संधि निलंबित की गई है, तो पंजाब को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति प्रदान की जाए।


पानी की राजनीति: भविष्य की राह


स्थानीय ज़रूरत बनाम राष्ट्रीय दांव : जम्मू–कश्मीर में स्थानीय लोगों की पानी की कमी और पंजाब में ज़मीन की स्थिति—दोनों को संतुलित करना होगा।

राजनीतिक प्रभाव : केंद्रीय नीति—क्या वह सिर्फ रणनीतिक रूप से “ऑपरेशन सिंदूर” के लिए है, या इसमें राज्यों के न्याय तय भी है?


राज्यों के बीच समझौते की गुंजाइश


क्या जम्मू–कश्मीर उत्तर देगा? क्या पंजाब को अतिरिक्त पानी मिलेगा? या जल विवाद राजनीति बनके राज्य-राज्य संघर्ष को और तेज करेगा? उमर अब्दुल्ला का कहना है—हमारे पास पानी की कमी है, इसलिए पहले अपनी ज़रूरतें पूरी करें। पंजाब का प्रतिनिधि दल जवाब देता है—पानी पर इतिहास में पहले भी अन्याय हुआ, अब सुधार की जरूरत है। केंद्र सरकार सिंधु जल संधि रोके हुए है और उत्तरी राज्यों के लिए पानी रिलीज़ की रणनीति बना रही है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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