
पाकिस्तान के परमाणु बम की धमकी से क्या भारत डर जाएगा?
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Manjushree
- May 2, 2025
परमाणु हथियारों की दौड़ में भारत बनाम पाकिस्तान
Nuclear Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत बेहद गुस्से में है। आतंक और आतंक के आकाओं को जमींदोज़ करने के लिए भारत सरकार ने कई कठोर कदम उठाए हैं, जिससे पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। भारत के डर से पाकिस्तान की ओर से कई नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयान जारी कर परमाणु बम की धमकी दी जा रही है। जब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने ऐसा बयान दिया कि पाकिस्तान ने अपनी सेना को अलर्ट मोड पर रखा है क्योंकि युद्ध की संभावना हो सकती है और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हम तभी करेंगे जब पाकिस्तान के अस्तित्व पर सीधा खतरा होगा, इसके बाद से न्यूक्लियर वॉर की चर्चा होने लगी है।
पाकिस्तान और भारत की परमाणु क्षमता
भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच दुनिया भर में एटमी हथियारों को लेकर नई चर्चा चल पड़ी है, जिसमें भारत द्वारा सिंधु जल समझौता निरस्त करने पर पाकिस्तान की तरफ से भारत को परमाणु बम हमले की धमकी दी गई है। लेकिन पाकिस्तान की परमाणु क्षमता 5 किलोटन से 40 किलोटन के परमाणु बम हैं जबकि भारत के पास 40 किलोटन से 200 किलोटन का परमाणु बम है। पाकिस्तान के 40 किलोटन परमाणु बम से करीब 2.5 लाख मौतें और 5 लाख लोग घायल हो सकते हैं, और इसका असर 8 किलोमीटर तक हो सकता है। जबकि भारत के 200 किलोटन के परमाणु बम से 6.5 लाख मौतें और 12 लाख लोग घायल हो सकते हैं, और इसका असर 22 किलोमीटर हो सकता है। पाकिस्तान के रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने भारत के लिए अपने परमाणु युद्ध खतरे की धमकी देते हुए परमाणु बम के नाम तक गिनाए हैं। उन्होंने परमाणु हमले की चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास 130 परमाणु बम हैं, जो विशेष रूप से भारत के लिए तैयार किए गए हैं। उनका दावा है कि ये मिसाइलें, जिनमें शाहीन, गजनवी और घोरी जैसी मिसाइलें शामिल हैं।
एफ-16 विमान और पाकिस्तान के परमाणु
पाकिस्तान के एफ-16 जैसे लड़ाकू विमान सरगोधा एयर बेस और शाहबाज एयर बेस पर तैनात हैं। माना जाता है कि इस ठिकाने से 10 किमी दूर सरगोधा वेपंस स्टोरेज कॉम्प्लेक्स में उसके एटमी हथियार रखे गए हैं। पाकिस्तान के पास अब्दाली, शाहीन, गौरी, हत्फ, शाहीन जैसी मिसाइलें हैं। पाकिस्तान में पीएम की अगुवाई वाली नेशनल कमांड अथॉरिटी एटम बम हमले पर फैसला ले सकती है।
भारत की परमाणु नीति: हमला नहीं, पर जवाब जरूर
भारत की सुरक्षा के पास अग्नि, शौर्य, प्रलय और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें हैं, जो परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। भारत के पास समुद्र, हवा और जमीन तीनों जगह से परमाणु हमला करने की क्षमता है, जिसे न्यूक्लियर ट्रायड कहते हैं। हालांकि परमाणु बम पर भारत की प्रतिक्रिया है कि वह कभी भी किसी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन ऐसे हमले का मुंहतोड़ जवाब उसी भाषा में जरूर देगा।
शीत युद्ध: परमाणु खतरे से बचाव
शीत युद्ध (Cold War) 1945 से 1991 तक सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच भू-राजनीतिक तनाव का एक लंबा दौर था। इस दौरान दोनों महाशक्तियाँ अपने-अपने समूह के देशों के साथ मिलकर वैचारिक युद्ध में लगी रहीं, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ था। शीत युद्ध के समय दुनिया में परमाणु बम की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच गई थी। बाद में एटमी युद्ध के खतरे से बचने के लिए परमाणु हथियारों को नष्ट करने के लिए परमाणु निरस्त्रीकरण कार्यक्रम चलाया गया। विश्व में सिर्फ दक्षिण अफ्रीका ने अपने सभी एटमी हथियार खत्म करके खुद को नाभिकीय हथियारों से मुक्त किया।
न्यू मैक्सिको से लेकर साउथ कैरोलिना तक परमाणु बम
परमाणु हथियारों को लेकर कई हादसे पहले भी हुए हैं। न्यू मैक्सिको में 1957 में दुर्घटनावश एक विमान से परमाणु बम गिर गया था, लेकिन इसमें परमाणु विस्फोट नहीं हो पाया और बड़ी तबाही होने से देश बच गया। अमेरिकी बी-47 लड़ाकू विमान से 1958 में साउथ कैरोलिना में एक एटम बम गिराया गया था। लेकिन किस्मत से मिसाइल में लगा एटमी हथियार प्लेन में ही रह गया। 1961 में कैलिफोर्निया में दो परमाणु बम लेकर जा रहा बी-52 विमान क्रैश हो गया। 1965 में अमेरिकी विमानवाहक पोत से उड़े विमान से एक परमाणु बम समुद्र में गिर गया था, जो आज तक नहीं मिल पाया।
हिरोशिमा और नागासाकी: परमाणु बम का विनाश
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहला परमाणु बम, जिसका नाम लिटिल बॉय था, 6 अगस्त 1945 को सुबह 8:15 बजे एनोला गे, एक बी-29 बमवर्षक विमान से हिरोशिमा पर गिराया था। दूसरा बम, जिसका नाम फैट मैन था, 9 अगस्त 1945 को सुबह 11:02 बजे बॉक्सकार, एक बी-29 बमवर्षक विमान से नागासाकी पर गिराया गया था। जिसमें हिरोशिमा और नागासाकी में कुल मिलाकर करीब 2 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। जापान को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ। आज दुनिया के देश सालाना 91.4 अरब डॉलर एटमी हथियारों के रखरखाव पर खर्च कर रहे हैं। इसे हर सेकंड के हिसाब से देखें तो 2898 डॉलर यानी ढाई लाख रुपये प्रति सेकंड है।
परमाणु बम हमला: आखिरी निर्णय और जिम्मेदारी
किसी देश में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री सीधे परमाणु बम हमले का आदेश नहीं देता है। परमाणु बम हमले का फैसला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति, एनएसए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जैसे शीर्ष संगठनों-व्यक्तियों की सलाह पर होता है। हालांकि आखिरी निर्णय प्रधानमंत्री का होता है। परमाणु बम हमले का असली काम परमाणु कमान की सबसे आखिरी पायदान की टीम के पास होता है, जो परमाणु हथियार से लैस मिसाइल दागती है। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास न्यूक्लियर फुटबॉल और रूस के राष्ट्रपति के पास ऐसा ब्रीफकेस होता है, जिसमें वॉर प्लान, परमाणु मिसाइलों और उनके टारगेट का पूरा ब्योरा होता है।
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