
Zakir Hussain Died: अलविदा उस्ताद जी! प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन
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Anjali
- April 8, 2025
"विदाई तो है दस्तूर जमाने का पुराना,
पर जहां भी जाना अपनी छाप कुछ ऐसे छोड़ जाना की हर कोई गुनगुनाए तेरा ही तराना"
इन अल्फाजों को पढ़ ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ नाम से पहचान दिलाने वाले जाकिर हुसैन की झलकियां सामने आ जाती हैं, जो कि अब इस दुनिया में नहीं रहे। 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रसिद्ध तबला वादक के परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी। परिवार ने बयान में कहा कि जाकिर हुसैन का (Zakir Hussain) निधन फेफड़े से संबंधी 'इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' (Idiopathic Pulmonary Fibrosis) से हुईं जटिलताओं की वजह से हुई। हुसैन पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था।
कौन थे उस्ताद जाकिर हुसैन
प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को हुआ था। उन्हें उनकी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला (Antonia Minnecola) और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी (Anisha Qureshi) और इसाबेला कुरैशी (Isabella Qureshi) हैं। तबले की तालीम उन्होंने पिता से ही ली थी। उस्ताद जाकिर हुसैन की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया। यानी तकरीबन 62 साल तक उनका और तबले का साथ नहीं छूटा। उन्होंने तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते। पद्म विभूषण से भी नवाजे गए। तबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में उनका अहम योगदान रहा।
संगीत की दुनिया में मिले कई पुरस्कार
जब तबले का जिक्र आता है तो सबसे बड़े नामों में उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां की पंजाब घराने (पंजाब बाज) की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि तबले के शास्त्रीय वादन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले गए। उस्ताद को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड 1992 में 'द प्लेनेट ड्रम' और 2009 में 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' के लिए मिला। इसके बाद 2024 में उन्हें तीन अलग-अलग संगीत एलबमों के लिए एकसाथ तीन ग्रैमी मिले। 1978 में जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की थी। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी।
फिल्मों में भी अभिनय किया
1983 में जाकिर हुसैन ने फिल्म 'हीट एंड डस्ट(Heat and Dust)' से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद 1988 में 'द परफेक्ट मर्डर (The Perfect Murder)', 1992 में 'मिस बैटीज चिल्डर्स (Miss Bettys Childers)' और 1998 में 'साज' फिल्म में भी उन्होंने अभिनय किया।
तबले को इस तरह आम लोगों से जोड़ते थे...
उस्ताद जाकिर हुसैन तबले को हमेशा आम लोगों से जोड़ने की कोशिश करते थे। यही वजह थी कि शास्त्रीय विधा में प्रस्तुतियों के दौरान बीच-बीच में वे अपने तबले से कभी डमरू, कभी शंख तो कभी बारिश की बूंदों जैसी अलग-अलग तरह की ध्वनियां निकालकर सुनाते थे। वे कहते थे कि शिवजी के डमरू से कैलाश पर्वत से जो शब्द निकले थे, गणेश जी ने वही शब्द लेकर उन्हें ताल की जुबान में बांधा। हम सब तालवादक, तालयोगी या तालसेवक उन्हीं शब्दों को अपने वाद्य पर बजाते हैं। ...गणेश जी हमारे कुलदेव हैं।
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