
मकर संक्रांति से जुड़े वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
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Shweta
- January 10, 2025
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहाँ हर स्थान पर केवल भाषा और संस्कृति ही नहीं बदलती बल्कि त्योहार भी बदल जाते हैं। ऐसे ही भारत सहित नेपाल में भी मनाए जाने वाले इस पर्व के बारे में हम आज जानेंगे। मकर संक्रांति जो हिंदू धर्म में अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। यह पर्व पौष मास में मनाया जाता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। असल में इस पर्व का महत्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश (संक्रांति) से जुड़ा है और यह पर्व सूर्य देवता को ही समर्पित है। वर्तमान काल में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पंद्रहवें दिन ही पड़ता है, इसे विज्ञान, अध्यात्म और कृषि से संबंधित कई पहलुओं के लिए मनाया जाता है। तो आइए संक्षिप्त में जानते हैं इस पर्व के बारे में।
क्या है इसका आध्यात्मिक इतिहास?
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान भास्कर यानी सूर्य देव जो कि नौ ग्रहों के राजा हैं, अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर गए थे और क्योंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए यह दिन मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। और इस दिन ही माँ गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपि मुनि के आश्रम से होती हुई सागर से जा मिली थीं।
मकर संक्रांति के पीछे क्या कहता है विज्ञान?
विज्ञान के दृष्टिकोण से मकर संक्रांति का महत्व सूर्य की गति (सौर प्रणाली) और पृथ्वी के अक्षीय झुकाव से संबंधित है। मकर संक्रांति के समय सूर्य मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, जो लगभग 14 जनवरी के आसपास होता है। यह दिन सौर मंडल की गति और पृथ्वी की ग्रहपथ से जुड़ा हुआ है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थिति बदल जाती है। ये परिवर्तन पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (northern hemisphere) में दिन के बढ़ने और तापमान में परिवर्तन का कारण बनता है। इसके बाद से दिन धीरे-धीरे लंबा होता है और रातें छोटी होने लगती हैं। और यह सर्दी के मौसम के समाप्त होने की शुरुआत और गर्मी के मौसम के आने की ओर बढ़ने का संकेत होता है।
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किसानों के लिए मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन से वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। इस दिन के बाद से सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध (northern hemisphere) में ज्यादा पड़ने लगती हैं, जिससे वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है। यही कारण है कि इसे कृषि के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि यह समय फसलों की उगाई और समृद्धि के लिए उपयोगी माना जाता है।
भारत में मकर संक्रांति के विभिन्न नाम
1. मकर संक्रांति: छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू
2. ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल: तमिलनाडु
3. उत्तरायण: गुजरात, उत्तराखंड
4. उत्तरैन, माघी संगरांद: जम्मू
5. शिशुर सेंक्रात: कश्मीर घाटी
6. माघी: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
7. बोगली बिहू: असम
8. खिचड़ी: उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
9. पौष संक्रांति: पश्चिम बंगाल
10. मकर संक्रमण: कर्नाटक
11. टुसू परब: झारखंड, बंगाल, ओडिशा के कुछ प्रांतों में
भारत के बाहर मकर संक्रांति के नाम जानिए
1. बांग्लादेश: Shakrain/ पौष संक्रांति
2. नेपाल: माघे संक्रांति या 'माघी संक्रांति' 'खिचड़ी संक्रांति'
3. थाईलैंड: सोंगकरन
4. म्यांमार: थिंयान
5. लाओस: पि मा लाओ
6. कंबोडिया: मोहा संगक्रान
7. श्रीलंका: पोंगल, उझवर तिरुनल
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