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Banke Bihariji 16 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि

Banke Bihariji 16 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि

Banke Bihariji 16 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानी गुरुवार 16 जनवरी 2025 को माघ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस तिथि पर कई तरह के शुभ योग के साथ-साथ अशुभ योग भी बन रहे हैं।

 

आज का पंचांग (Panchang 16 January 2025)

माघ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त - प्रातः 04 बजकर 11 मिनट तक
नक्षत्र - आश्लेषा

वार - गुरुवार
ऋतु - वसंत

 

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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 47 मिनट पर
चंद्रोदय - रात 08 बजकर 13 मिनट से
चन्द्रास्त - सुबह 09 बजकर 06 मिनट पर
चन्द्र राशि - कर्क

 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 17 जनवरी रात 12 बजकर 58 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 09 बजकर 37 मिनट से सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक

 

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अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 01 बजकर 49 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 09 बजकर 55 मिनट से सुबह 11 बजकर 31 मिनट तक
विडाल योग - सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक
गण्ड मूल - पूरे दिन
भद्रा - दोपहर 03 बजकर 39 मिनट से 17 जनवरी प्रातः 04 बजकर 06 मिनट तक
दिशा शूल - दक्षिण

 

नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल

अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती

राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ

 

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निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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