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मेलोनी का ट्रंप को संदेश: यूक्रेन में भी दिखाइए वही सख़्ती!

मेलोनी का ट्रंप को संदेश: यूक्रेन में भी दिखाइए वही सख़्ती!

ट्रंप की तारीफ के बीच मेलोनी का नया संदेश

ईरान और इज़रायल के बीच संघर्ष को खत्म कराने में अहम भूमिका निभाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया भर में तारीफ मिल रही है। लेकिन अब इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने ट्रंप के सामने एक और मांग रख दी है। उन्होंने कहा है कि जैसे ट्रंप ने ईरान-इज़रायल के बीच सीज़फायर करवाया, वैसी ही सख़्त और मजबूत रणनीति अब यूक्रेन और गाज़ा में भी दिखाई जानी चाहिए। 25 जून को नीदरलैंड्स के हेग में हुई NATO समिट में मेलोनी ने ये बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि रूस के पीछे हटने के कोई संकेत नहीं हैं, और ऐसे में ट्रंप को निर्णायक कदम उठाने चाहिए।

 

यूक्रेन को चाहिए अमेरिका की पूरी ताकत

ईरान-इज़रायल के बीच सीज़फायर 24 जून को ट्रंप की घोषणा के बाद हुआ था। इससे पहले अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे, जिसके बाद ईरान ने पीछे हटने का फैसला लिया। इसी संघर्ष में ईरान ने तेल अवीव पर मिसाइल दागी थी, जिसमें आम नागरिकों समेत पांच यूक्रेनी भी मारे गए थे। मेलोनी ने इस सीज़फायर का स्वागत तो किया, लेकिन साफ कहा कि यूक्रेन को भी ऐसी ही अमेरिकी ताकत की ज़रूरत है। इसी NATO समिट में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने भी ट्रंप से मुलाकात की, क्योंकि यूक्रेन को डर है कि कहीं अमेरिका का समर्थन कम न हो जाए। इस साल के NATO बयान में भी रूस को युद्ध की शुरुआत का ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया, जो पिछले साल के मुकाबले बड़ा बदलाव है।

 

NATO में दिखी एकजुटता, लेकिन ज़रूरत है मजबूत नेतृत्व की

NATO की इस बैठक में 32 देशों ने अपने रक्षा खर्च को बढ़ाकर 2035 तक GDP के 5% तक लाने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, यूक्रेन की रक्षा इंडस्ट्री को भी इस खर्च का हिस्सा माना जाएगा। मेलोनी ने इस फैसले की तारीफ की और कहा कि इस वक्त NATO की एकता और ताकत बहुत जरूरी है। वो ट्रंप की करीबी मानी जाती हैं और 2025 में ट्रंप के राष्ट्रपति शपथ समारोह में शामिल होने वाली अकेली यूरोपीय नेता थीं। समिट के आखिरी दिन ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से मुलाकात की, जबकि इससे पहले वह G7 समिट से भी जल्दी निकल गए थे। मेलोनी का संदेश सीधा था – अगर ईरान और इज़रायल को शांति मिल सकती है, तो यूक्रेन को क्यों नहीं? इसके लिए ट्रंप जैसे मजबूत नेताओं की निर्णायक भूमिका जरूरी है।

 

 

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