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गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोग, UN की चेतावनी के बाद भी चुप क्यों हैं एजेंसियां?

गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोग, UN की चेतावनी के बाद भी चुप क्यों हैं एजेंसियां?

UN की चेतावनी, भूख से मर रहे लोग, पर कोई सुनवाई नहीं

गाज़ा युद्ध 2025 के बाद हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। अब हाल ये है कि हर तीसरा शख्स गाज़ा में भूख से तड़प रहा है और कई दिनों से कुछ खा भी नहीं पाया है। UN की चेतावनी बेहद साफ है, गाज़ा में भुखमरी तेज़ी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) का कहना है कि 90,000 महिलाएं और बच्चे ऐसे हैं जिन्हें तुरंत पोषण चिकित्सा की जरूरत है। इसी सप्ताह नौ और लोगों की मौत भूख से हो गई, जिससे गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोगों की कुल संख्या 122 पहुंच चुकी है। ये आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के ज़मीर को झकझोर देने वाली हकीकत है।

 

दूसरी चिंता: मदद के नाम पर राजनीति, ज़मीनी राहत नदारद

इस बीच इज़रायल का कहना है कि उसने गाज़ा युद्ध 2025 में राहत सामग्री के प्रवेश पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन गाज़ा की हालत जमीनी स्तर पर पूरी तरह इसके उलट है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने शुक्रवार को संकेत दिया कि यूके जल्द ही गाज़ा में हवाई मदद भेज सकता है। हालांकि, मदद के इन तरीकों को खुद एजेंसियों की चुप्पी और चेतावनी मिल चुकी है कि ये काफी असक्षम हैं। जॉर्डन और यूएई जैसे देश अब भी इज़रायल की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। गाज़ा फूड क्राइसिस को लेकर जर्मनी, फ्रांस और यूके ने इज़रायल से अपील की है कि वो तुरंत राहत सामग्री पर लगे प्रतिबंध हटाए। उनका कहना है कि जो कुछ हो रहा है, वो साफ तौर पर गाज़ा अकाल संकट का संकेत है, गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोगों को  नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

 

तीसरा सवाल: सच्चाई छुपाने की कोशिशें या असल युद्ध अपराध?

UN की चेतावनी में महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने बेहद भावुक शब्दों में कहा कि वो इस "बेसुधी और निर्दयता" को समझ नहीं पा रहे जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में फैली हुई है। उन्होंने बताया कि 27 मई से अब तक 1,000 से ज्यादा फिलीस्तीनी सिर्फ खाना पाने की कोशिश में मारे जा चुके हैं। एक अमेरिकी ठेकेदार ने बीबीसी को बताया कि उसने खुद देखा कि कैसे गाज़ा में मौतें हो रही थीं—आईडीएफ और अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर्स द्वारा लोगों पर गोलाबारी की जा रही थी, यहां तक कि भोजन वितरण स्थलों पर भी। GHF ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और उन्हें ‘एक नाखुश पूर्व कर्मचारी की झूठी बातें’ बताया। लेकिन सवाल ये है कि जब UN की चेतावनी बार-बार दी जा रही है, तो एजेंसियों की चुप्पी क्यों बनी हुई है? गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोगों को बचाने का अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, देश और इंसानियत की आवाज़ उठाने वाले लोग गाज़ा युद्ध 2025 के बाद की भयावहता को गंभीरता से लें। क्योंकि जिस जगह हर तीसरा इंसान भूखा हो, वहां इंसानियत खुद दम तोड़ रही होती है। आज ज़रूरत है कि हम गाज़ा में भुखमरी, गाज़ा में मौतें और गाज़ा की हालत जैसे शब्दों को खबरों तक सीमित न रखें, बल्कि कार्रवाई के रूप में दुनिया के सामने लाएँ। वरना इतिहास यही पूछेगा—जब गाज़ा युद्ध के बाद भूख से मर रहे लोग दम तोड़ रहे थे, तब दुनिया कहाँ थी?

 

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें : The India Moves

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