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जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाली पर SC सुनवाई, महबूबा मुफ्ती की मोदी सरकार से ईमानदार संवाद की अपील

जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाली पर SC सुनवाई, महबूबा मुफ्ती की मोदी सरकार से ईमानदार संवाद की अपील

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और अहम टिप्पणी

जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस (सीजेआई) ने कहा कि पहलगाम में जो हुआ, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इस मुद्दे पर निर्णय लेना संसद व कार्यपालिका का काम है। अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा। यह मामला शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका से संबंधित है। सुनवाई को आठ सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध किया गया।

 

महबूबा मुफ्ती की तीखी प्रतिक्रिया

पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और केंद्र की नीति पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में आत्मविश्वास की कमी है और वह जम्मू-कश्मीर पर अपने कड़े नियंत्रण को कम करने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना था कि हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले का सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिक्र, केंद्र सरकार के इस क्षेत्र की स्थिरता पर अविश्वास को दर्शाता है।

 

अनुच्छेद 370 और मौजूदा स्थिति पर सवाल

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा समाप्त कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद भी हालात में अपेक्षित सुधार नहीं आया है। केंद्र अब भी यहां के मामलों में कड़ा नियंत्रण बनाए हुए है। उन्होंने इसे एक गहरे राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक गतिरोध का प्रतीक बताया।

 

पीडीपी का रुख

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करना ही पर्याप्त समाधान नहीं है। इस मुद्दे का हल तभी संभव है जब नई दिल्ली, यहां के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं से जुड़कर, मूल समस्या का सामना करे। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी ताकत का इस्तेमाल कर लिया जाए, जब तक केंद्र सरकार क्षेत्र के साथ ईमानदार संवाद और मेल-मिलाप की प्रक्रिया शुरू नहीं करती, तब तक स्थायी शांति और सम्मान स्थापित नहीं हो सकता।

 

मोदी सरकार से अपील

महबूबा मुफ्ती ने स्पष्ट कहा कि अब समय आ गया है कि मोदी सरकार अपनी पिछली गलतियों को सुधारते हुए, ईमानदार बातचीत और मेल-मिलाप की दिशा में कदम बढ़ाए। उन्होंने कहा कि यह केवल संवैधानिक स्थिति का मामला नहीं है, बल्कि लोगों के विश्वास और सम्मान की बहाली से जुड़ा मुद्दा है।

 

केंद्र का पक्ष

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला गंभीर विषय है और इसमें कई पहलुओं पर विचार करना होगा। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने का जो आश्वासन दिया था, उसे पूरा किया जा चुका है।

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग किसने की है?
Ans. यह मांग शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका में की गई है।

 

Q2. महबूबा मुफ्ती ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
Ans. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मोदी सरकार को अपनी पिछली गलतियों को सुधारते हुए, ईमानदार संवाद और मेल-मिलाप की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उन्होंने केंद्र के कड़े नियंत्रण को राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक गतिरोध बताया।

 

Q3. अनुच्छेद 370 का इस मामले से क्या संबंध है?
Ans. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा समाप्त कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। याचिका इसी दर्जे की बहाली को लेकर है।

 

Q4. सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
Ans. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहलगाम में हुई घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इस मुद्दे पर निर्णय लेना संसद और कार्यपालिका का काम है।

 

Q5. केंद्र सरकार का क्या रुख है?
Ans. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला गंभीर विषय है और इसमें कई पहलुओं पर विचार होगा। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने चुनाव करवाने का वादा पूरा किया है।

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