
ईरान-इजराइल तनाव में ट्रम्प की एंट्री
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Priyanka
- June 22, 2025
अमेरिकी एयरस्ट्राइक: ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला
पिछली रात (21–22 जून 2025 की दरमियाद), अमेरिकी सेना ने एक बेहद महत्वाकांक्षीमिशन अंजाम देते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों – फोर्डो, नतांज़ और इसफ़ाहान – पर सटीक एयरस्ट्राइक की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे "स्पेक्टैकुलर मिलिट्री सक्सेस" बताते हुए "पूरी तरह से तबाह" कर दिया गया बताया.
हमले का तरीका और क्षति
फोर्डो साइट एक्सप्रेस रूप से लक्षित रही। ट्रंप के अनुसार यहाँ सबसे अधिक बम गिराए गए, जिसमें B‑2 स्टील्थ बॉम्बर द्वारा GBU‑57 ‘मेसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर’ (30,000 पौंड का) शामिल था. Natanz और Isfahan साइटों पर भी Tomahawk cruise मिसाइलों से हमला किया गया.
ट्रंप का बयान
ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट कर बताया: “सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित वापस लौट चुके हैं”. उन्होंने अमेरिकी सैनिकों की सराहना की और चेतावनी दी कि "अब शांति का समय है", लेकिन अगर ईरान शांति नहीं चुनता है तो अगली कार्रवाई "पहले से कहीं अधिक तीव्र और सटीक" होगी । ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें मिलकर “ऐसी टीम की तरह कार्य किया” ।
व्हाइट हाउस वॉर-रूम में स्थितियाँ
व्हाइट हाउस ने पुष्टि की कि स्ट्राइक के समय राष्ट्रपति ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो सहित काफ़ी वरिष्ठ अधिकारी वॉर रूम में मौजूद थे और ऑपरेशन को नजदीकी से मॉनिटर कर रहे थे।
वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिक्रियाएँ
इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका को "ऐतिहासिक" और "परिवर्तनकारी" मदद के लिए धन्यवाद किया । ईरान की ओर से अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन वह संभावित जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे चुका है । इस हमले पर पेटागन में रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा की गई है।
राजनीतिक और विधिक विमर्श
अमेरिका में इस हमले को लेकर गहराई से बहस शुरू हो चुकी है—कुछ ने इसे राष्ट्रपति की स्वेच्छा से की गई सैन्य कार्रवाई माना, जबकि अन्य ने इसे राष्ट्राध्यक्ष के पारंपरिक शक्ति के विरुद्ध बताया । यह कार्रवाई 2015 के न्यूक्लियर समझौते से अमेरिका के एकतरफा वापसी (2018) के बाद क्षेत्र में पहले बड़ा सैन्य हस्तक्षेप माना जा रहा है ।
अमेरिका और इजरायल के बीच गहरा सामंजस्य देखते हुए, यह हमला मध्य पूर्व में पुरानी जमी हुई जटिलता को और गहरा कर सकता है। ट्रंप प्रशासन ने इसे एक निर्णायक कदम बताया, लेकिन इससे ईरान द्वारा प्रतिशोध की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं। क्षेत्रीय स्थिरता पर इसका असर गंभीर रूप से पड़ सकता है।
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