
संविधान पर घमासान, RSS ने समाजवाद - धर्मनिर्पेक्षता हटाने की मांग
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Manjushree
- June 28, 2025
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के महासचिव ने संविधान की प्रस्तावना समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर विचार करने की मांग उठाकर यह बहस एक बार फिर छेड़ दी। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आरएसएस के दत्तात्रेय होसबोले ने भारतीय संविधान के 42वें संशोधन पर सवाल खड़े किए। बाबा साहेब अंबेडकर का नाम और संविधान पिछले कुछ सालों में भारतीय राजनीति के केंद्र में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।
इमरजेंसी पर हुए एक कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए थे। जो मूल प्रस्तावना का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि इन शब्दों को बाद में हटाया नहीं गया, मगर क्या इन शब्दों का रहना जरुरी है।
संविधान संशोधन पर दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, "क्योंकि मैं जानता हूं - और मैं यह बात हमारे संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर बने भवन में खड़े होकर कह रहा हूं - कि ये शब्द उन्होंने नहीं जोड़े थे। ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे, जब नागरिकों के अधिकार निलंबित थे, जब संसद अप्रभावी थी, जब न्यायपालिका अपंग थी। उस समय इसे जोड़ा गया था।" कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनका मजाक उड़ाते हुए श्री होसबोले ने कहा कि उनके पूर्वजों ने ही संविधान को तहस-नहस किया था, लेकिन अब वे उसी संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस संविधान की प्रस्तावना को बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा था, उसे इंदिरा सरकार ने बदल दिया,जब समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द भारतीय संविधान में 1976 में जोड़े गए।
अब ये बहस का मुद्दा बन गया है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी पर वार करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, 'RSS का नक़ाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है। RSS ये सपना देखना बंद करे, हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय आख़िरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होसबोले के बयान का समर्थन कर विवाद को हवा देते हुए कहा कि, "सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्कृति का मूल है. धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। इसलिए इस पर ज़रूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जिस धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए। अपने जैसा सबको मानो ये भारत का मूल विचार है, इसलिए समाजवाद की ज़रूरत नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश को समाजवाद - धर्मनिर्पेक्षता पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए।
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