Dark Mode
  • day 00 month 0000
देवी मां के चमत्कार से मुस्लिम परिवार बना मां दुर्गा का भक्त

देवी मां के चमत्कार से मुस्लिम परिवार बना मां दुर्गा का भक्त

लोकेश व्यास (जोधपुर)

देशभर में चैत्र नवरात्रा का उत्सव चल रहा है. नवरात्रा में मां दुर्गा के मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है. ऐसी ही एक आस्था से जुड़े मंदिर के बारे में जानकर आपको थोड़ी हैरानी होगी. क्योंकि मां दुर्गा के इस मंदिर में पुजारी मुस्लिम है. धर्म और जाति को लेकर भले ही हमारे समाज में अलग-अलग नियम और कानून हो सकते है. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ लोग इससे अलग हटकर अनूठी मिसाल के रूप में दिखाई देते है. सांप्रदायिक सौहार्द और देवी मां की भक्ति से जुड़ा एक ऐसा मंदिर सामने आया है. इस मां दुर्गा के मंदिर में मुस्लिम पुजारी देवी मां की उपासना करने के साथ ही उनका बहुत बड़ा भक्त भी है.

13 से अब तक पीढ़ी दर पीढ़ी पुजारी बन रहा मुस्लिम परिवार

दरअसल, जोधपुर जिले सेव75 किलोमीटर दूर के ग्रामीण क्षेत्र भोपालगढ़ के एक छोटे से बागोरिया गांव की ऊंची पहाड़ियों पर विराजमान मां दुर्गा के इस प्राचीन मंदिर में पीढ़ी दर पीढ़ी मुस्लिम परिवार पुजारी बनकर देवी मां की सेवा कर रहा हैं. बागोरिया के मां दुर्गा के इस मंदिर में भोपा जलालुद्दीन खां हैं.बागोरिया गांव की ऊंची पहाड़ी पर स्थापित मां दुर्गा के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 500 सीढ़ियां और 11 विजय पोल को पार करने के बाद मां दुर्गा के भव्य दर्शन होते हैं. मां दुर्गा के श्रद्धालुओं की ऐसी भक्ति है. हजारों की संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु मां दुर्गा के दर्शन करने पहुंचते हैं.बागोरिया की पहाड़ी पर स्थित मां दुर्गा के मंदिर के मुस्लिम पुजारी का परिवार रोजा रखने के साथ मां की उपासना भी करते हैं. लेकिन इनके परिवार का जो भी सदस्य मंदिर का पुजारी बनता है. वो नमाज नहीं पढ़ता है. हालांकि उसे इजाजत होती है. वो नमाज और देवी मां की आराधना पूजा एक साथ कर सकता है.

वहीं इस गांव के लोगों ने बताया कि इस मंदिर के मुस्लिम पुजारी नवरात्रा के दौरान लोगों के यहां हवन व अनुष्ठान भी करवाते हैं. जबकि देवी मां का भक्त मुख्य पुजारी नवरात्रा के दौरान मंदिर परिसर में ही रहते हैं. उपवास करने के साथ माता रानी की उपासना भी करते हैं.गाव के लोगो का कहना है की सैंकड़ों साल पहले सिंध प्रांत में भारी अकाल पड़ने के कारण कुछ सिंधी मुस्लिम परिवार के  पूर्वज यहां आकर बस गए थे. उस समय अकाल के कारण इनके पूर्वज ऊंटों के काफिले को लेकर मालवा जा रहे थे. उसी दौरान कुछ ऊंट रास्ते में बीमार पड़ गए.उन्हें यहां रुकना पड़ा जिसके कारण रात को देवी मां ने इनके पूर्वजों को सपने में आकर दर्शन दिए. कहा कि नजदीक के बावड़ी में रखी मूर्ति से भभूत निकाल ऊंटो को लगा दो वो ठीक हो जाएंगे. फिर जमालुद्दीन खां के पूर्वज बागे खान ने  भी ऐसा ही किया. जिसके बाद ऐसा चमत्कार हुआ कि ऊंट ठीक हो गए.

पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा

मां दुर्गा के इस चमत्कार को देखकर सिंध प्रांत से आए इस मुस्लिम परिवार के काफिले ने इसी गांव में रुकने का निर्णय किया. बस यहीं वे बस गए और देवी मां की पूजा आराधना करने लगे.इसके बाद से उनके परिवार में यह परंपरा चली आ रही है. आज भी इस मंदिर में इनके ही परिवार के सदस्य पुजारी बनकर मां की उपासना और आराधना कर मां दुर्गा की सेवा करते हैं. मौजूदा दिनों में इस मंदिर में मुस्लिम परिवार के सदस्य जलालुद्दीन खान मंदिर के पुजारी हैं, जो मंदिर की सेवा पूजा कर रहे हैं.

Comment / Reply From
You May Also Like

Vote / Poll

क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..

View Results
Yes
11%
No
89%

Talk to us?