
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया की निगाहें , ये राज्य करेंगे फैसला
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Chhavi
- October 2, 2024
इनके बीच है सियासी टक्कर
अमेरिका के दो प्रमुख राजनीतिक दल अपने अपने उम्मीदवार नामांकित करते है। इसके लिए ये पार्टियां स्टेट प्राइमरी और कॉकस का आयोजन करते है। जिनमें लोग उन नेताओं को चुनते है जो आम चुनाव में उनकी पार्टी का नेतृत्व करें। रिपब्लिकन पार्टी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी बढ़त के साथ अपनी पार्टी का समर्थन हासिल किया। विस्कॉन्सिन के मिल्वॉकी में हुए पार्टी सम्मेलन में वो रिपब्लिकन पार्टी के आधिकारिक राष्ट्रपति उम्मीदवार बने। वहीं राष्ट्रपति जो बाइडन के पीछे हटने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं। बाइडन के बाहर होने के बाद किसी अन्य डेमोक्रेट ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी को चुनौती नहीं दी। इनके अलावा कुछ स्वतंत्र उम्मीदवार भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की दौड़ में थे. इनमें से सबसे प्रमुख थे रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर, जो कि पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे हैं. लेकिन अगस्त के अंत में उन्होंने अपना चुनाव अभियान खत्म कर डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया.
ये राज्य करेंगे जीत का फैसला
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में पूरे देश में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार विजेता नहीं होता। इसके बजाय दोनों पार्टियों के उम्मीदवार को पूरे 50 राज्यों में होने वाले चुनावों को जीतने के लिए प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ती है। हरेक प्रांत में आंशिक तौर पर जनसंख्या पर आधारित कथित इलेक्टोरल कॉलेजों की एक निश्चित संख्या होती है। इस तरह 538 इलेक्टोरल कॉलेज होते हैं। इनमें से 270 या इनसे अधिक में जीतने वाला ही विजेता होता है।केवल दो को छोड़ कर सभी राज्यों में जो भी उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट हासिल करता है उसे ही इलेक्टोरल कॉलेज के सभी वोट दे दिए जाते हैं। ज्यादातर राज्य एक या दूसरी पार्टी की ओर काफी ज्यादा झुके होते हैं। इसलिए उम्मीदवार लगभग उन एक दर्जन के राज्यों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं जहां उनके जीतने की संभावना होती है। इन्हें बैटलग्राउंड या स्विंग स्टेट कहते हैं।
इस समय पूरी दुनिया में लोगों का ध्यान इस बात पर है कि अमेरिका में आख़िर राष्ट्रपति कौन चुना जाएगा। लेकिन अमेरिकी वोटर राष्ट्रपति के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों का भी चुनाव करेंगे। इसी कांग्रेस यानी संसद में कानून पारित होते है।
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