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क्या है श्री अकाल तख्त साहिब, महाराजा रणजीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी सुना चुके है सजा

क्या है श्री अकाल तख्त साहिब, महाराजा रणजीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी सुना चुके है सजा

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने सजा सुनाई है। इसके साथ ही देश में एक बार फिर श्री अकाल तख्त साहिब को लेकर चर्चा तेज हो गई है। राज्य की राजनीति, धर्म और सामाजिक व्यवस्था में काफी प्रभाव रखने वाले अकाल तख्त को सिखों की सबसे मजबूत और शक्तिशाली संस्था माना जाता है। अमृतपाल सिंह के फरार होने के बाद से पंजाब में सैकड़ों लोगों को या तो हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया था। इसे लेकर अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरपीत सिंह ने पंजाब की भगवंत मान सरकार को गिरफ्तार युवाओं को जल्द से जल्द रिहा करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था।

 

क्या है अकाल तख्त?

सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद साहिब ने वर्ष 1609 में श्री अकाल तख्त की स्थापना की थी। इसी तरह सिंध धर्म में कुल पांच तख्त हैं। श्री अकाल साहिब तख्त, श्री दम्मादा साहिब, श्री केशवगढ़ साहिब, श्री हुजूर साहिब और श्री पटना साहिब। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी के 160 सदस्य और कार्यकारी समिति के 15 सदस्य मिलकर अकाल तख्त के जत्थेदार का चुनाव करते हैं। किसी भी समय अकाल तख्त के जत्थेदार का पद सर्वोच्च होता है। सिख धर्म में जो भी अकाल तख्त के फैसले को नहीं मानता, उसका बहिष्कार किया जाता है।

 

किसी भी परिस्थिति में कोई भी सरकार खुलेआम अकाल तख्त का विरोध करने की हिम्मत नहीं कर सकती। इससे पहले भी अकाल तख्त ने महाराजा रणजीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह जैसी हस्तियों को सजा सुनाई थी और उन्हें सजा स्वीकार करनी पड़ी थी।

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