
Rajasthan News : ''अजमेर दरगाह'' या ''शिव मंदिर'' तेज हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर
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Renuka
- November 28, 2024
Ajmer Dargah case : राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर के होने का दावा किया गया है। यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है जिसको लेकर दोनों पक्षों के दावें और तथ्य सामने आते रहते है। वहीं अब एक पक्ष की ओर से इस जगह पर संकट मोचन महादेव मंदिर होने के तीन आधार पेश किए गए है।
संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा
अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है । वहीं अब इसको लेकर संकट मोचन महादेव मंदिर के होने का दावा किया जा रहा है। जिसको लेकर अजमेर सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई है। वहीं लोगों का कहना है कि- इसके नक्शे और दरवाजों की निर्माण शैली हिंदू मंदिर होने का संकेत करती है।
कोर्ट में याचिका दायर
इस मामले को लेकर राजस्थान के अजमेर सिविल कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। बता दें कि यह याचिका हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दायर की है, जिसमें उनका दावा है कि- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मौजूद दरवाजों की निर्माण शैली और नक्काशी इस स्थल के पहले हिंदू मंदिर होने का संकेत देती है। इस मामले को लेकर कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को होगी। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग को नोटिस जारी करते हुए उनसे 20 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में यह दावा किया गया है कि दरगाह स्थल पर हिंदू मंदिर होने के तीन प्रमुख आधार मौजूद हैं।
याचिकाकर्ताओं का क्या है कहना
वहीं याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा कि- उपलब्ध तथ्यों से यह साबित होता है कि दरगाह स्थल पर पहले एक हिंदू मंदिर था। उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि इस दावे को साकार करने के लिए उन्होंने दो वर्षों तक शोध किया और रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की पुस्तक में दिए गए तथ्यों का हवाला लिया। साथ ही बताया कि- शारदा की किताब में उल्लेख है कि इस स्थान पर एक ब्राह्मण दंपति रहते थे, जो दरगाह स्थल पर स्थित महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे। इसके साथ ही गुप्ता ने कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए हैं, जो इस सिद्धांत को बल देते हैं कि दरगाह से पहले यहां शिव मंदिर था।
तीन दावें कौन-कौनसे है?
पहले दावें में दरगाह के बुलंद दरवाजे की बनावट और उस पर की गई नक्काशी हिंदू मंदिरों के दरवाजों से काफी मेल खाती है। इन कला कार्यों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस स्थल पर पहले एक हिंदू मंदिर स्थित था। वहीं दूसरा दावा दरगाह की ऊपरी संरचना में भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी विशेषताएँ नजर आती हैं। खासकर गुंबदों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि यहां पहले एक हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर उसके स्थान पर दरगाह का निर्माण कराया गया है। तीसरे दावें में कहा गया है कि- जहां-जहां शिव मंदिर होते हैं, वहां अक्सर पानी और झरने भी पाए जाते हैं, और अजमेर की दरगाह में भी यही स्थिति है।
इस मामले में सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान
अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर विवाद और भी बढ़ता नजर आ रहा है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि- दरगाह पिछले 800 वर्षों से मौजूद है, और इसके इतिहास को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक सभी प्रधानमंत्रियों ने दरगाह पर चादर भेजी है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पर चादर भेजते रहे हैं। साथ ही ओवैसी ने सवाल उठाया कि बीजेपी और आरएसएस मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ क्यों नफरत फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम पर सुनवाई नहीं कर रही हैं, जो कि कानून और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी और आरएसएस के निर्देश पर हो रहा है, जिससे देश में कानून का शासन कमजोर हो रहा है और यह देश की एकता और सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
नेताओं ने दी अपनी प्रतिक्रिया
अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली एक याचिका ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है। इस मामले पर आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे देश में नफरत फैलाने का एक षड़यंत्र करार देते हुए कहा कि- ऐसा करना सिर्फ समाज को और अधिक विभाजित करने का प्रयास है। वहीं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मस्जिदों के मंदिर होने के दावों को लेकर तीखी टिप्पणी की है। स्वामी ने कहा कि- अगर इस तरह के दावे किए जाते रहे, तो लोग हर मस्जिद में मंदिर और हर मंदिर में बौद्ध मठ खोजने लगेंगे। उनका कहना था कि इस तरह के बयान सिर्फ विवाद और भ्रम पैदा करते हैं और इससे समाज में असहमति और तनाव को बढ़ावा मिलता है।
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