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पीटर नवारो के बयान पर सियासत तेज, निर्मला सीतारमण और सागरिका घोष आमने-सामने

पीटर नवारो के बयान पर सियासत तेज, निर्मला सीतारमण और सागरिका घोष आमने-सामने

नवारो का विवादित बयान और बवाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो बयान ने भारत में एक नई बहस छेड़ दी है। नवारो ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के रूसी तेल खरीदने से ब्राह्मणों को फायदा हो रहा है। इस टिप्पणी ने न केवल राजनीतिक हलचल पैदा की, बल्कि भारत अमेरिकी रिश्ते और वैश्विक बहस में भी नई परत जोड़ दी।

 

वित्त मंत्री सीतारमण का कड़ा जवाब

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह वही "फूट डालो और राज करो" की नीति है जिसे कभी अंग्रेजों ने अपनाया था। सीतारमण ने कहा कि पीटर नवारो बयान दरअसल भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को चुनौती देने जैसा है। उन्होंने कहा कि भारतीयों को खुद सोचना चाहिए और किसी भी साम्राज्यवादी सोच का बचाव नहीं करना चाहिए।

 

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत 75-80 साल पहले आजाद हो चुका है और अब वह अपने दम पर फैसले लेने में सक्षम है। उन्होंने अपील की कि भारतीय नवारो जैसे लोगों की भाषा का बचाव करने के बजाय उसका विरोध करें। यह साफ करता है कि मौजूदा हालात में भारत अमेरिका तनाव केवल व्यापारिक ही नहीं बल्कि वैचारिक स्तर पर भी गहराता जा रहा है।

 

सागरिका घोष का पलटवार

टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने पीटर नवारो बयान को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि "बोस्टन ब्राह्मण" शब्द अमेरिका में न्यू इंग्लैंड के धनी और अभिजात वर्ग के लिए इस्तेमाल होता था। उनके मुताबिक, यह शब्द अंग्रेजी भाषी समाज में आर्थिक या सामाजिक अभिजात वर्ग को दर्शाने के लिए आज भी इस्तेमाल होता है।

 

घोष ने इस बहस को ऐतिहासिक संदर्भ में रखा और बताया कि नवारो का शब्द चयन पूरी तरह से अमेरिकी संदर्भ से आया है। इस बयान से यह साफ होता है कि भारत अमेरिकी रिश्ते अब राजनीतिक बहस और सामाजिक व्याख्याओं तक फैल गए हैं।

 

भारत अमेरिका तनाव और व्यापक असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद महज शब्दों का खेल नहीं है बल्कि भारत अमेरिका तनाव की गहराई को भी दर्शाता है। एक ओर अमेरिका भारत के रूसी तेल व्यापार पर सवाल उठा रहा है, वहीं भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर दे रहा है।

 

सीतारमण का यह कहना कि "हम अपने काम से काम रखेंगे और अपना ख्याल रखेंगे" इस बात की ओर इशारा है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में आने को तैयार नहीं है। वहीं, सागरिका घोष की प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि भारतीय राजनीति में इस मुद्दे को लेकर मतभेद भी हैं।

 

कुल मिलाकर, पीटर नवारो बयान ने न केवल राजनीतिक हलचल मचाई है बल्कि भारत अमेरिकी रिश्ते को भी एक संवेदनशील मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह विवाद इस बात का प्रतीक है कि मौजूदा समय में भारत अमेरिका तनाव सिर्फ व्यापारिक नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक विमर्श का भी हिस्सा बन चुका है।

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. पीटर नवारो बयान में क्या कहा गया था?
Ans. नवारो ने कहा कि भारत के रूसी तेल खरीदने से ब्राह्मणों को फायदा हो रहा है।

 

Q2. निर्मला सीतारमण ने पीटर नवारो बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
Ans. उन्होंने इसे साम्राज्यवादियों की सोच बताया और कहा भारत को इस भाषा से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

 

Q3. क्या इससे भारत अमेरिकी रिश्ते प्रभावित होंगे?
Ans. हाँ, इस तरह के बयान भारत अमेरिकी रिश्ते और सहयोग पर तनाव पैदा कर सकते हैं।

 

Q4. सागरिका घोष ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
Ans. उन्होंने कहा कि "बोस्टन ब्राह्मण" शब्द अमेरिका में धनी अभिजात वर्ग के लिए इस्तेमाल होता है।

 

Q5. भारत अमेरिका तनाव क्यों बढ़ रहा है?
Ans. तेल खरीद, टैरिफ और नवारो जैसे विवादित बयान भारत अमेरिका तनाव को गहरा रहे हैं।

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