
अब ग्लोबल होगा भारत का कारोबार!
-
Chhavi
- May 12, 2025
दुनिया के नए बाजारों में भारत की मजबूत दस्तक
भारत अब दुनिया के नए बाजारों में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। सरकार का मकसद है कि वह अपने व्यापार को मजबूत बनाए और जरूरी minerals हासिल करे। यूरोपीय यूनियन (EU) और अमेरिका के साथ भारत की बातचीत अब तेज हो गई है। यह रणनीति इस बात पर आधारित है कि अब भारत सिर्फ कुछ देशों पर निर्भर नहीं रहेगा। कोरोना और यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि अब समय आ गया है कि व्यापार और रणनीति को नई दिशा दी जाए। भारत अब ऐसे देशों के साथ जुड़ना चाहता है जहां से उसे digital services, technology और खास minerals जैसे lithium आसानी से मिल सकें। इन सबके पीछे भारत का बड़ा लक्ष्य है एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाना।
चिली और न्यूजीलैंड के साथ बढ़ता सहयोग
हाल ही में भारत और चिली ने अपने पुराने व्यापार समझौते को बढ़ाने का फैसला लिया है। अब दोनों देश एक नया और बड़ा समझौता करने जा रहे हैं, जिसे Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) कहा जाएगा। इसमें सिर्फ सामान का व्यापार नहीं, बल्कि digital services, निवेश और minerals पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। चिली दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा lithium producer है। भारत को इलेक्ट्रिक गाड़ियों और renewable energy के लिए lithium की बहुत जरूरत है। ऐसे में चिली से मिलकर भारत अपनी इन जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है। इसी तरह न्यूजीलैंड के साथ भी भारत ने पहली बार व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू की है। दोनों देश चाहते हैं कि यह समझौता जल्द हो और कारोबार को नई रफ्तार मिले। भारत का यह कदम साफ दिखाता है कि वह दुनिया के नए बाजारों को लेकर कितनी गंभीरता से काम कर रहा है।
यूरोपीय यूनियन और अमेरिका से उम्मीदें
यूनाइटेड किंगडम (UK) के साथ हुए समझौते के बाद भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच लंबे समय से रुकी बातचीत में जान आई है। भारत के मंत्री पीयूष गोयल ने EU के एक बड़े अधिकारी से मुलाकात की और व्यापार, technology, जलवायु और minerals जैसे मुद्दों पर चर्चा की। अब भारत मई के अंत में अमेरिका जाएगा। वहां एक बड़ा व्यापार समझौता करने की कोशिश होगी। भारत को उम्मीद है कि अगले चार महीनों में यह डील पूरी हो जाएगी। अमेरिका के साथ यह समझौता सिर्फ सामान का नहीं होगा, बल्कि digital trade, climate sustainability और mineral security जैसे अहम विषयों पर भी बात होगी। भारत अब अपने हर व्यापारिक रिश्ते में mutual benefit को देख रहा है। उसका कहना है कि वो किसी दबाव में नहीं है, बल्कि समझदारी से कदम बढ़ा रहा है।
कुछ अड़चनें भी बनी हुई हैं
हालांकि भारत की यह कोशिश हर देश के साथ एक जैसी नहीं रही है। ऑस्ट्रेलिया में चुनाव के चलते बातचीत थमी हुई है। ओमान के साथ भी कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है, खासकर petrochemical products को लेकर। फिर भी भारत का इरादा साफ है। वह अब ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ व्यापार करेगा और minerals जैसे जरूरी संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। भारत के इस कदम से न सिर्फ उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि वह global trade का एक बड़ा खिलाड़ी भी बन पाएगा। भारत का यह प्रयास दिखाता है कि वह अब पूरी दुनिया में अपने लिए नए मौके तलाश रहा है। यही वजह है कि "भारत व्यापार समझौता" अब नीतियों का अहम हिस्सा बन चुका है।
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