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Trump Tariff Deadline: बुधवार तक डील करो, वरना टैरिफ झेलो!

Trump Tariff Deadline: बुधवार तक डील करो, वरना टैरिफ झेलो!

अमेरिका (America) ने सभी ट्रेड पार्टनर्स (Trade Partners) को साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है – अगर डील करनी है तो बुधवार तक अपना सबसे अच्छा ऑफर भेजो! Trump Tariff Deadline अब नजदीक है और ट्रंप प्रशासन ने एक ड्राफ्ट लेटर में चेतावनी दी है कि 5 हफ्तों में लगने वाली भारी-भरकम टैरिफ की डेडलाइन से पहले ही सारी बातचीत खत्म करनी होगी, वरना टैरिफ का तूफान तय है। 9 अप्रैल को ट्रंप ने अपनी "Liberation Day" टैरिफ को 90 दिनों के लिए होल्ड पर डाला था, लेकिन अब वो मोहलत 8 जुलाई को खत्म हो रही है, और उससे पहले अमेरिका ने यूके को छोड़कर किसी भी बड़े देश से कोई फाइनल डील नहीं की है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि सभी देश अपने बेस्ट ऑफर – खासकर अमेरिकी इंडस्ट्रियल American Industrial) और एग्री प्रोडक्ट्स (Agri-Products) पर टैरिफ (Tariff) और कोटा, डिजिटल ट्रेड (Digital Trade), इकोनॉमिक सिक्योरिटी (Economic Security) और नॉन-टैरिफ बैरियर्स (Non-Tariff Barrier) को हटाने की प्लानिंग – बुधवार तक सौंपें। अमेरिका (America) फिर इन ऑफर्स को जल्दी से एनालाइज करेगा और एक "possible landing zone" यानी रेसिप्रोकल टैरिफ रेट (Reciprocal Tariff Rate) का सुझाव देगा। भारत (India), जापान (Japan), वियतनाम (Vietnam) और यूरोपियन यूनियन (European Union) जैसे देशों से बातचीत जारी है, और अब उन पर फैसला लेने का दबाव बढ़ चुका है क्योंकि ट्रंप टैरिफ डेडलाइन बिलकुल करीब है। व्हाइट हाउस (White House) के आर्थिक सलाहकार और अन्य अधिकारियों का दावा है कि डील्स लगभग तैयार हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि अभी तक सिर्फ यूके (U.K) के साथ एक सीमित समझौता हुआ है, जो असल में एक फ्रेमवर्क (Framework) जैसा है, न कि कोई फाइनल डील। नैशनल फॉरेन ट्रेड काउंसिल की वाइस प्रेसिडेंट (Vice President) टिफनी स्मिथ (Tiffini Smith) ने कहा है कि अगर ये डील्स अमरीकी कंपनियों के लिए ग्लोबल बैरियर्स (Global Barriers) हटाती हैं और टैरिफ कम करती हैं, तो ये सभी के लिए फायदे की बात होगी। वहीं दूसरी तरफ कोर्ट में ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी (Tariff Policy) की लीगल वैधता पर भी सवाल उठने लगे हैं। कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने पिछले हफ्ते फैसला दिया था कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट का गलत इस्तेमाल किया, लेकिन अपील कोर्ट ने उस फैसले को फिलहाल रोक दिया है, यानी ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी अभी भी लागू है। ड्राफ्ट लेटर में यह भी लिखा है कि “चाहे कोर्ट जो भी कहे, राष्ट्रपति इन टैरिफ्स को लागू करने के लिए दूसरे मजबूत कानूनी अधिकारों का भी इस्तेमाल करेंगे।” यानी अमेरिका पीछे हटने को तैयार नहीं है, और अब दुनिया के देशों को फटाफट फैसला लेना होगा – डील या ड्यूटी, क्योंकि Trump Tariff Deadline अब सिर्फ कुछ हफ्तों की दूरी पर है, और कोई भी देरी भारी पड़ सकती है। Trump Tariff Deadline के इस दबाव में अब ग्लोबल ट्रेड के मोर्चे पर हर देश को तेजी दिखानी होगी।

 

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