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Preamble of Constitution पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान: 'धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद बने नासूर'

Preamble of Constitution पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान: 'धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद बने नासूर'

देश में आपातकाल (Emergency in India 1975) की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान और उसकी प्रस्तावना को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। शनिवार, 28 जून 2025 को उपराष्ट्रपति निवास में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए शब्द 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' – "संविधान के मूल ढांचे पर नासूर" बन चुके हैं।

 

धनखड़ ने कहा, “आपातकाल के दौरान प्रस्तावना में जबरन जोड़े गए शब्दों से संविधान की प्रस्तावना (Preamble of Constitution) की आत्मा को ठेस पहुंची। यह भारत की सनातन आत्मा के साथ अन्याय था। उस समय देश में आपातकाल लागू था और ऐसे गंभीर बदलाव, जो नहीं होने चाहिए थे, उन्हें बिना किसी व्यापक विचार-विमर्श के कर दिया गया।”

 

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में संविधान की प्रस्तावना से इस तरह का छेड़छाड़ नहीं हुआ। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताया और कहा कि प्रस्तावना संविधान की आत्मा है, जिसे तोड़ना-मरोड़ना अनुचित था।

 

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को भी याद किया और कहा, “अंबेडकर हमारे विचारों, आत्मा और संविधान निर्माण की प्रेरणा हैं। लेकिन जिस तरह से 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' जैसे शब्दों को आपातकाल के दौरान जोड़ा गया, वह न केवल उनके विचारों का अपमान है, बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा का भी हनन है।”

 

संविधान की प्रस्तावना (Preamble of Constitution) पर उठाए गए इन सवालों के बीच उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे संविधान की मूल भावना को समझें और उसका सम्मान करें। उन्होंने कहा कि आपातकाल (Emergency in India 1975) इतिहास का एक काला अध्याय है, जिससे नई पीढ़ी को सबक लेना चाहिए।

 

गौरतलब है कि इससे पहले आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी इसी तरह की मांग की थी कि संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाए जाएं। इस पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और आरएसएस को निशाने पर लेते हुए संविधान से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।

 

धनखड़ के इस बयान से संविधान और राजनीति में एक बार फिर विचारधारात्मक बहस तेज हो गई है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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